जानकारी के अनुसार लवेरा निवासी सत्यनारायण का 10 वर्षीय पुत्र सुरेंद्र पुश्तैनी खेत पर बने हौद मैं गिरी बाल्टी को निकालने के लिए उतरा, लेकिन बाहर नहीं निकल पाया। इस पर खेत पर कार्य कर रहे उसके चाचा शैतान व शिवराज हौद में उतरे। उन्होंने बच्चे को तो बाहर निकाल दिया, लेकिन खुद हौद में ही रह गए। उनकी आवाज नहीं आने पर लवेरा निवासी श्रवण के 2 पुत्र देवकरण व महेंद्र भी हौद में उतरे और चारों बाहर नहीं निकल सके।
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शोर-शराबा सुनकर बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर जमा हो गए। गांव के ही धनराज ,शेरू व रतन ने हौद में उतरने का प्रयास किया, लेकिन वह भी असहज महसूस कर रहे थे। ग्रामीणों ने किसी तरह उन्हें हौद से बाहर निकाल लिया। उन्हें भी अचेत होता देख ग्रामीणों ने शेरू व रतन को तुरंत श्रीनगर चिकित्सालय पहुंचाया, जहां से उन्हें अजमेर रेफर कर दिया गया। वहीं धनराज को नसीराबाद चिकित्सालय पहुंचाया।
ग्रामीणों ने लवेरा निवासी नंदा गुर्जर को रस्सी बांधकर हौद में उतारा, तब कहीं जाकर चारों को एक-एक कर बाहर निकाला गया। उन्हें नसीराबाद के राजकीय सामान्य चिकित्सालय पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने चारों को मृत घोषित कर दिया। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि हौद 10 बाय 6 फीट आकार में बना है। यह 8 फीट गहरा है। इसमें मात्र 3 फीट पानी था।
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मृतकों में दो-दो सगे भाई
हादसे में जान गंवाने वाले चार जनों में दो-दो सगे भाई थे। लवेरा निवासी हरदेव के 3 पुत्र थे। इसमें सत्यनारायण की पूर्व में ही मौत हो चुकी है और उसके पुत्र को बचाने उतरे दो भाई शैतान व शिवराज भी काल का ग्रास बन गए। वहीं लवेरा निवासी श्रवण के दो पुत्र देवकरण व महेंद्र की भी मौत हो गई। ग्रामीणों ने बताया कि मरने वालों में शैतान, देवकरण व शिवराज शादीशुदा थे। वहीं हादसे की सूचना मिलने पर श्रीनगर, सिटी व सदर थाना नसीराबाद सहित आला अधिकारी चिकित्सालय पहुंच गए।