अजमेर. प्रदेश (State)के पारंपरिक पेयजल स्त्रोत, हैंडपंप, ट्यूबवेल फ्लोराइडयुक्त पानी (Water) उगल रहे हैं। राजस्थान के करीब 16 हजार से अधिक गांवों में फ्लोराइड की समस्या है। फ्लोराइडयुक्त (Fluoride) पानी से निजात के लिए कई पेयजल परियोजनाएं प्रारंभ हुई मगर कुछ दम तोड़ चुकी हैं तो कुछ वर्षा कम होने से जूझ रही है। फ्लोराइडयुक्त पानी से बचने के लिए वर्षाजल का संग्रहण एवं उसे सहेजने की आज आवश्यकता है।
अजमेर(Ajmer) जिले सहित प्रदेश के कई जिलों में भू-जल स्तर गहराने के साथ फ्लोराइड की मात्रा पानी में लगातार बढ़ रही है। एक अध्ययन एवं जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार अकेले राजस्थान (Rajasthan) में 16,560 गांव फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर है। अकेले राजस्थान में करीब 80 लाख व्यक्ति अपंग बना देने वाले फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर हैं। करीब 24,405 गांवों में भजन में 1.5 पीपीएम से अधिक फ्लोराइड है, 6018 में से 553 में भूजल में फ्लोराइड की मात्रा 0.5 पीपीएम से कम है, यह बताता है कि 34.61 प्रतिशत गांवों में उच्च फ्लोराइड प्रदूषण है तथा राजस्थान के 9.19 प्रतिशत गांव में भूजल में फ्लोराइड की मात्रा होने से परेशान हैं। आज भी देश के कुल गांवों में से 42 प्रतिशत राजस्थान के गांव खारेपन से प्रभावित हैं। सरकारी योजनाएं के चलते इनमें से कुछ गावों को फ्लोराइड मुक्त पेयजल मिलने लगा है मगर कुछ महीनों पारंपरिक जलस्त्रोतों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। उच्च फ्लोराइडयुक्त भूजल में टॉप जिलों में नागौर, भीलवाड़ा, जोधपुर, जयपुर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, जालोर, अजमेर, सिरोही, झुंझुनूं जिला शामिल हैं।
अजमेर(Ajmer) जिले सहित प्रदेश के कई जिलों में भू-जल स्तर गहराने के साथ फ्लोराइड की मात्रा पानी में लगातार बढ़ रही है। एक अध्ययन एवं जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार अकेले राजस्थान (Rajasthan) में 16,560 गांव फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर है। अकेले राजस्थान में करीब 80 लाख व्यक्ति अपंग बना देने वाले फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर हैं। करीब 24,405 गांवों में भजन में 1.5 पीपीएम से अधिक फ्लोराइड है, 6018 में से 553 में भूजल में फ्लोराइड की मात्रा 0.5 पीपीएम से कम है, यह बताता है कि 34.61 प्रतिशत गांवों में उच्च फ्लोराइड प्रदूषण है तथा राजस्थान के 9.19 प्रतिशत गांव में भूजल में फ्लोराइड की मात्रा होने से परेशान हैं। आज भी देश के कुल गांवों में से 42 प्रतिशत राजस्थान के गांव खारेपन से प्रभावित हैं। सरकारी योजनाएं के चलते इनमें से कुछ गावों को फ्लोराइड मुक्त पेयजल मिलने लगा है मगर कुछ महीनों पारंपरिक जलस्त्रोतों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। उच्च फ्लोराइडयुक्त भूजल में टॉप जिलों में नागौर, भीलवाड़ा, जोधपुर, जयपुर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, जालोर, अजमेर, सिरोही, झुंझुनूं जिला शामिल हैं।
वर्षाजल(Rain water) के लिए संग्रहण हौज बनाएं फ्लोराइड मुक्त पानी के लिए वर्षाजल का संग्रहण आवश्यक है। संग्रहण टैंक/हौज बनाकर भवनों की छतों का पानी सीधे उतारें, यह पानी महीनों तक पेयजल के लिए आपूर्ति कर पाएगा। अजमेर के राजकीय सावित्री बालिका स्कूल में इशकी पहल की गई है।
इनका कहना है फ्लोरोसिस बीमारी का कोई इलाज नहीं है मगर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। जिन गांवों में फ्लोराइडयुक्त पानी है और वे सेवन करते हैं तो दूध, दही, छाछ एवं खट्टे फल खाएं ताकि कैल्सियम एवं विटामिन शरीर को मिल सके। जो फ्लोरोसिस से प्रभावित हैं वे काला नमक, काली चाय का इस्तेमाल नहीं करें। विटामिन डी व विटामिन सी की टेबलेट चिकित्सा संस्थानों में नि:शुल्क उपलब्ध है।
जितेन्द्र हरचंदानी, जिला सलाहकार, फ्लोरोसिस नियंत्रण कार्यक्रम अजमेर