18 जुलाई 1975 को सुबह 6-7 बजे से ताबड़तोड़ बरसात का दौर शुरू हुआ। लगातार 8 से 10 घंटे तक झमाझम बरसात चली। शहर के अंदरूनी और बाहरी इलाकों में पानी का सैलाब उफ पड़ा था। बाहरी इलाकों में आनासागर का पानी बहुत बड़े क्षेत्र (करीब 25 से 26 फीट) में भर गया था। कई इलाकों में घरों में महीनों तक पानी भरा रहा था। वैशाली नगर-जनता कॉलोनी में बने हाउसिंग बोर्ड के मकान महीनों तक खाली रहे थे।
अजमेर में 29 सितंबर 2013 को 120.6, 1 अगस्त 2019 को 114.2 और 19 मई 2021 को 114.3 ताबड़तोड़ बरसात हुई थी। यह बरसात महज पांच-छह घंटे की थी। लेकिन इससे शहर के कई इलाके पानी में घिरने से टापू बन गए थे। वैशाली नगर सेक्टर-तीन, गुलमोहर कॉलोनी, सागर विहार कॉलोनी, जादूघर, नगरा, अलवर गेट और आसपास के इलाकों में हालात खराब थे। नगर निगम और एडीए को कई दिन तक पम्प लगाकर पानी निकालना पड़ा था।
1975 की तरह कभी अजमेर में पानी बरसा तो ज्यादा तबाही मच सकती है। अव्वल तो जल निकासी के प्राकृतिक नालों पर अतिक्रमण हो चुके हैं। आंतेड़, नागफणी, तारागढ़-अंदरकोट क्षेत्र, शास्त्री नगर समेत कई जगह पहाड़ों पर मकान बन चुके हैं। सीवरेज लाइन थोड़ी सी बरसात में उफन पड़ती हैं। स्टेशन रोड, जेएलएन मेडिकल कॉलेज, वैशाली नगर, सावित्री चौराहा, महावीर सर्किल सहित कई इलाकों में तरणताल बन जाते हैं। जल निकासी के उचित प्रबंध नहीं हैं।