सेल्फ स्टडी से पाया मुकाम शिशिर ने बताया कि वे बचपन से ही सिविल सर्विसेज में जाने का सपना देखते थे इसके लिए वे नियमित छह से आठ घण्टे की पढ़ाई करते थे। उन्होंने बताया कि आजकल युवाओं की कोचिंग के प्रति निर्भरता दिनोदिन बढ़ती जा रही है। लेकिन किसी भी बड़े से बड़े कॉम्पिटीशन एग्जाम को क्लियर करने के लिए सेल्फ व रेग्यूलर स्टडी का बहुत महत्व है। कोचिंग केवल जरूरत हो तो गाइडेन्स के लिए ही ली जानी चाहिए।
दो नावों की नहीं करें सवारी
शिशिर ने बताया कि आजकल बेरोजगारी के चलते युवा लक्ष्य से भटक रहे हैं जिसके चलते वे अपना लक्ष्य तय नहीं कर पा रहे हैं और एक साथ कई प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। युवाओं को चाहिए कि एक लक्ष्य निर्धारित कर केवल उसी की तैयारी में जुटें। एक से अधिक लक्ष्य होना दो नावों में सवार होने जैसा है, जिसमें डूबना तय है।
कमियां ढूंढे और दूर करें शिशिर का कहना है कि 2017 से पूर्व भी उन्होंने सिविल सर्विसेज की परीक्षा दी थी जिसमें वे मेन्स क्वालिफाइड नहीं हो पाए थे, जिससे थोड़ी निराशा हुई। बाद में जिन लोगों ने ये एक्जाम क्लियर किया उन लोगों से बात की। उनके बारे में पढ़ा और जाना कि तैयारी में कहां कमी रह गई। फिर अपनी कमियों पर गौर कर के नये सिरे से तैयारी की और ठान लिया कि इस बार आईएएस टॉप करना है। मेरी इस विफलता ने मुझे सक्सेज का रास्ता दिखाया।
पढ़ाई के साथ मनोरंजन भी शिशिर ने बताया कि जरूरी नहीं किसी भी परीक्षा को पास करने के लिए 24 घंटे पढ़ते ही रहें बल्कि कुछ समय अपने दिमाग को भी आराम देना चाहिए। उन्होंने बताया कि पढ़ाई के बीच कुछ समय निकालकर वे किशोर कुमार के गाने सुनते हैं और फिजिकली फिट रहने के लिए क्रिकेट खेलना पसंद करते हैं। शिशिर ने स्कूल लेवल पर अंडर-19 तक क्रिकेट प्रतियोगिता में खेला है।
ईमानदारी व कत्र्तव्य निष्ठा से काम करूंगा शिशिर का कहना है कि समाज में कई ऐसी बुराइयां हैं जिनसे हमारा पूरा देश जूझ रहा है। इसमें खासतौर पर महिला उत्पीडऩ, बेरोजगारी व अन्य जनसामान्य की परेशानियों को जड़ से खत्म करने की पूरी कोशिश रहेगी। इसके साथ ही जहां भी पोस्टिंग मिलेगी वहां के काम को भी पूर्ण ईमानदारी व कत्र्तव्य निष्ठा से करूंगा ।
परिवार का मिला साथ शिशिर ने बताया कि वे दो भाई बहन हैं। छोटी बहन एमपी से लॉ कर रही हैं। पिता शरद गेमावत एमजेएसए डिपार्टमेंट में अधीक्षण अभियंता हैं वहीं मां ज्योति गेमावत गृहिणी हैं। परिवार के सभी सदस्यों ने मुझे लक्ष्य तक पहुंचने में सहयोग किया।