युवाओं के कॅरियर के लिहाज से आउटडोर और इन्डोर खेल जरूरी समझे जाते हैं। इनमें उच्च शिक्षण संस्थान की तरह मेडिकल, इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स भी शामिल हैं। शहर के बॉयज और महिला इंजीनियरिंग कॉलेज खेल सुविधाओं के मामले में स्कूल से भी पिछड़े है।
कैंपस में नहीं खेल मैदान बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज कैंपस में सुविधाओं युक्त खेल मैदान नहीं है। कॉलेज प्रतिवर्ष वार्षिक खेल रेलवे के कैरिज ग्राउन्ड या अन्यत्र करता है। अलबत्ता यहां सहायक खेल अधिकारी जरूर नियुक्त है। महिला कॉलेज कैंपस में भी भी खेल मैदान नहीं बनाया गया है। यहां बैडमिंटन कोर्ट और वॉलीबॉल खेलने की सुविधा उपलब्ध है। फुटबॉल, क्रिकेट, हॉकी जैसे आउटडोर गेम्स के लिए दोनों कॉलेज में मैदान नहीं हैं।
यूनिवर्सिटी वसूलती विकास शुल्क प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों की तरह राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी भी विद्यार्थियों से विकास शुल्क वसूलती है। इसका आशय कॉलेज में भवनों के अलावा खेल सुविधाओं का विकास करना भी है। फिर भी दोनों कॉलेज खेल सुविधाओं के मामले में पिछड़े हुए हैं। टेक्नोक्रेट्स के लिए अन्तर कक्षा स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता ही होती हैं। यहां जिला, राज्य अथवा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं का कभी आयोजन नहीं हुआ है।
इनसे सीखें खेल सुविधाएं जुटाना विश्वविद्यालय और कॉलेज से बेहतर सुविधाएं सीबीएसई से सम्बद्ध स्कूल में है। मेयो कॉलेज और मेयो कॉलेज गल्र्स स्कूल, मयूर, संस्कृत द स्कूल और अन्य स्कूल में उच्च स्तरीय स्वीमिंग पूल, बास्केटबॉल कोर्ट, हॉकी-क्रिकेट मैदान, स्कवैश, टेबल टेनिस, बैडमिंटन और अन्य इन्डोर गेम्स सुविधाएं उपलब्ध है।
सीखें केंद्रीय तकनीकी संस्थानों से देश में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान इस मामले में अग्रणीय हैं। इन संस्थानों में बी.टेक, एम.टेक करने वाले टेक्नोक्रेट्स पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूल स्पर्धाओं में भी भाग लेते हैं। संस्थानों में इंडोर और आउटडोर खेल सुविधाएं, जिम, खेल मैदान उपलब्ध हैं। विद्यार्थी राज्य, राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं।
इन संसाधनों की कमी -दोनों कॉलेज में नहीं स्वीमिंग पूल -अत्याधुनिक बास्केटबॉल कोर्ट की कमी -हरी घास वाले खेल मैदान -आधुनिक स्कवैश कोर्ट