प्रदेश के विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेज को स्थाई प्राचार्यों का इंतजार है। पिछले साल प्राचार्य पद के आवेदन लिए गए थे। तकनीकी शिक्षा विभाग ने स्थाई नियुक्तियों के बजाय शिक्षकों को ही कार्यवाहक प्राचार्य बना दिया है।
प्रदेश में अजमेर के बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज में स्थाई प्राचार्य नहीं है। इस दौरान डॉ. जे. पी. भामू और प्रो. रंजन माहेश्वरी ने बतौर कार्यवाहक प्राचार्य जिम्मेदार संभाली। राजकीय महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में भी डेढ़ साल से स्थाई प्राचार्य नहीं है। तत्कालीन प्राचार्य डॉ. अजयसिंह जेठू इस्तीफा देकर वापस एमएनआईटी लौट चुके हैं। तकनीकी शिक्षा विभाग ने हाल में बॉयज कॉलेज में रीडर डॉ. रोहित मिश्रा और महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में रीडर डॉ. जितेंद्र डीगवाल को कार्यवाहक प्राचार्य बनाया है।
विभाग ने मांगे थे आवेदन
तकनीकी शिक्षा विभाग ने पिछले साल फरवरी-मार्च में प्राचार्य पद के लिए आवेदन मांगे थे। इनमें अजमेर, बांसवाड़ा, भरतपुर और अन्य कॉलेज शामिल थे। उच्च स्तरीय समिति से आवेदनों की छंटनी के बाद जुलाई में साक्षात्कार कराना तय हुआ। लेकिन आठ महीने से मामला अधर में है। आवेदन लेने के बावजूद प्राचार्य पद के साक्षात्कार नहीं हो पाए हैं।
तकनीकी शिक्षा विभाग ने पिछले साल फरवरी-मार्च में प्राचार्य पद के लिए आवेदन मांगे थे। इनमें अजमेर, बांसवाड़ा, भरतपुर और अन्य कॉलेज शामिल थे। उच्च स्तरीय समिति से आवेदनों की छंटनी के बाद जुलाई में साक्षात्कार कराना तय हुआ। लेकिन आठ महीने से मामला अधर में है। आवेदन लेने के बावजूद प्राचार्य पद के साक्षात्कार नहीं हो पाए हैं।
तीन साल से कार्यवाहक प्राचार्य बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज में तत्कालीन प्राचार्य डॉ. एम. एम. शर्मा जून 2015 में पुन:अपने मूल विभाग चले गए थे। इसके बाद से यहां स्थाई प्राचार्य नहीं है। कार्यवाहक प्राचार्य ही कॉलेज को संभाले हुए हैं। कॉलेज में मनमाने ढंग से नियुक्तियां, सामग्री की खरीद-फरोख्त,आरटीयू की परीक्षाओं में बिना जांचे अथवा कम नंबर भेजने जैसी शिकायतें राज्यपाल कल्याण सिंह और पिछली भाजपा सरकार तक पहुंची थी। इन्हें गंभीरता से लेते हुए तकनीकी शिक्षा विभाग ने प्रो. रंजन माहेश्वरी को साल 2017 में कार्यवाहक प्राचार्य नियुक्त किया था। प्रो. माहेश्वरी भी अपने मूल विश्वविद्यालय में वापस लौट चुके हैं।