श्रेयांसी अंतरराष्ट्रीय एवं पिटसबर्ग सेंटर फॉर ह्वमेनिटेरियन ग्राउंड आर्ट एक्सपीडिशन कला अभियान आट इको २०१९-२० में रूस व तुर्की मिनीस्तान से आए तेरह सदस्यीय दल के अलावा मेयो कॉलेज के कलाकारों ने भी भाग लिया।
प्रदर्शनी में गगनचुंबी पहाड़ पर हरियाली, हिलोरे मारती झील, कलकल बहती नदी, प्राचीन इमारतों की स्थापत्य कला, ठेठ देहात के कच्चे घर, मांडणे, मवेशियों का रेवड़ व चरवाहे, समुद्र किनारे, वन्यजीव सहित अन्य कई दृश्य कूची के जरिए बनाए।
प्रदर्शनी में गगनचुंबी पहाड़ पर हरियाली, हिलोरे मारती झील, कलकल बहती नदी, प्राचीन इमारतों की स्थापत्य कला, ठेठ देहात के कच्चे घर, मांडणे, मवेशियों का रेवड़ व चरवाहे, समुद्र किनारे, वन्यजीव सहित अन्य कई दृश्य कूची के जरिए बनाए।
मेयो कॉलेज कमेटी के चेयरमैन रणधीर विक्रमसिंह मंडवार ने प्रदर्शनी की अध्यक्षता की। उन्होंने कलाकारों को केप भेंटकर स्वागत किया। संचालन प्रिय वाधवा ने किया। …ताकि मजबूत रहे संस्कृति मेयो कॉलेज के पीआरओ अचलदीप दुबे ने बताया कि सात दिन से मेयो कॉलेज में पेंटिंग बनाने का काम जारी था। इसमें विदेशी दल के अलावा स्थानीय कलाकार कौशिक कुंडु,ओरिजितराय व तरुण चौधरी ने भी पेंटिंग बनाई।
पर्यावरण सुरक्षा को लेकर हमें क्या करना होगा। विरासत को बचाने में हमारी भूमिका कैसी तय हो। देश की अलग-अलग संस्कृति व परम्पराएं एकता के सूत्र में बंधी रहे। इसी मकसद से यह अभियान शुरू किया गया है। जो ११ दिसम्बर से शुरू हुआ और २१ मार्च तक चलेगा। संयोजक श्रेयांसी के मुताबिक वक्ताओं ने पर्यावरण सुरक्षा व कल्चर को जीवंत बनाए रखने पर जोर दिया। साथ में कहा कि पेंटिंग के माध्यम से कई सकारात्मक संदेश देकर आमजन को जागरूक करना आसान रहता है।
देश के बारह शहरों में आयोजन पेंटिंग प्रदर्शनी के लिए देहली, देहरादून, बड़ौदा, बीकानेर, अजमेर, कोटा, बूंदी, सपोटरा, जयपुर व उदयपुर शहर को चुना गया है। इस दौरान यहां के प्रमुख पर्यटक स्थलों, ऐतिहासिक भवन,पूजा स्थल, बांध, झील, प्राचीन इमारतें, ग्रामीण खानपान व रहनसहन सहित कई विषयों को शामिल किया गया।
इंटरनेशनल आर्ट एक्सपेडिशन आर्ट-2019-20 का यह अभियान100 दिन में पूरा किया जाना है। इसके लिए 18 देशों के 12 प्रमुख शहरों के 75 आर्टिस्ट पेंटिंग (कला) का प्रदर्शन कर सकेंगे।