अजमेर

रूफटॉप सोलर प्लांट के जरिए उत्पादित बिजली पर अब प्रति यूनिट देना होगा 60 पैसा शुल्क

लाभ में सेंधमारी: वसूली के लिए उपभोक्ताओं को जारी किए जा रहे हैं नोटिस

अजमेरMay 03, 2022 / 09:59 pm

bhupendra singh

Rooftop solar plant

भूपेन्द्र सिंह
अजमेर. रूफटॉप और कैप्टिव सोलर प्लांट के जरिए बिजली का उत्पादन करने वालों को सरकार ने झटका दिया है। अब इन प्लांटो के जरिए उत्पादित बिजली पर अब प्रति युनिट 60 पैसे विद्वुत शुल्क के रूप में वसूली होगी। इसका असर अब प्लांट लगाने वाले उपभोक्ता के लाभ में कमी के रूप नजर आएगा। अभी तक इस तरह के प्लांट से उत्पादित बिजली की दर 3.14 रूपए तय है। अब शुल्क वसूली के बाद उपभोक्ता को 2.54 पैसे ही प्रति यूनिट मिलेंगे। अजमेर डिस्कॉम ने इंडस्ट्रीज पर लगे इस तरह के प्लांट से उत्पादित बिजली पर शुल्क वसूली शुरु कर दी है। वहीं अजमेर शहर में छतों पर सोलर प्लांट के जरिए बिजली का उत्पादन करने वाले उपभोक्ताओं उनके बिजली बिल के साथ ही जरूरी सूचना के रूप में वसूली के लिए नोटिस भेजा जा रहा है। टाटा पावर के अनुसार सोलर नेट मीटर कनेक्शन पर लागू नियमों के तहत लगने वाली विदयुत शुल्क एवं विद्युत दरों में परिवर्तन किया गया है। इन परिवर्तनों के तहत सोलर द्वारा उत्पादित बिजली यूनिट पर 60 प्रति यूनिट की दर से एवं उपभोग पर 40 पैसे प्रति यूनिट की दर से विद्युत शुल्क देय होगा। नेट इम्पोर्ट यूनिट्स पर लगने वाली दरें उच्च स्लैब अनुसार चार्ज की जाएंगी।
कम ली गई राशि वसूल की जाएगी
सोलर पैनल द्वारा यूनिट उत्पादन की अधिकतम सीमा 6 यूनिट प्रति किलोवाट प्रतिदिन की निर्धारित की गयी है। इस सीमा से अधिक उत्पादित यूनिट अस्वीकृत होगी एवं इस अधिक उत्पादित यूनिट से एक्सपोर्ट यूनिट घटा दी जाएगी। आगे आने वाले बिलों में कम चार्ज हुई राशि बकाया किश्तों के रूप मेें समायोजित की जाएगी।
शहर में एक हजार से अधिक सोलर उपभोक्ता
अजमेर शहर में एक हजार से अधिक उपभोक्ता हैं जो स्वंय के सोलर प्लांट से उत्पादित बिजली का उपभोग कर रहे हैं। कई बड़े सोलर प्लांट भी शहर में स्थापित हो चुके हैं। सोलर प्लांट से उत्पादित बिजली प्रति यूनिट ढाई से तीन रूपए के बीच खर्च आता है। जबकि सरकार की खरीदी गई बिजली की दर सामान्य दिनों में 6 से 8 रूपए प्रति यूनिट आती है।
समायोजन के बाद जारी होता है बिल
सोलर प्लांट से उत्पादित उपभोक्ता की सस्ती बिजली का समायोजन नेट मीटरिंग के जरिए सरकार की मंहगी बिजली से होता है। इसके बाद उपभोक्ता को वास्तविक बिजली बिल जारी होता है। सरकार को उपभोक्ता की उत्पादित सस्ती बिजली का मंहगी बिजली से समायोजन भारी पड़ रहा है।
पांच साल तक ही रही छूट
आरईआरसी (कनेक्टिविटी एंड नेट-मीटरिंग फॉर रूफटॉप एंड स्मॉल ग्रिड इंटरएक्टिव सिस्टम) रेगुलेशन, 2015 के तहत स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्र को छूट दी गई थी। यह अधिसूचना 10 जुलाई 2019 से मार्च 2020 तक प्रभावी रही।

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