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छुट्टे पैसे की समस्या दूर
डिजिटल लेन-देन के कारण अब छुट्टे पैसों की परेशानी दूर हो गई है। यहां तक कि बाजार में निकलने से पहले पैसे पर्स में रखने की आवश्यकता भी धीरे-धीरे कम हो गई है। यूपीआइ से लेनदेन के बाद खुल्ले पैसों की मारामारी तो मानो अब पूरी तरह दूर हो गई है। इसी डिजिटल पेमेंट का परिणाम आने के कारण बाजार में धीरे-धीरे रेजगारी की किल्लत नहीं रही।
मोबाइल ने की आसानी
आज के दौर में हर किसी के पास स्मार्ट मोबाइल फोन है। इसी से डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिल रहा है। इसका उपयोग युवा ही नहीं बल्कि अब हर उम्र के लोग आसानी से कर रहे हैं। आलम यह है कि जब से डिजिटल पेमेंट की सुविधा शुरू हुई है तब से कई लोगों ने तो जेब में पर्स रखना बंद कर दिया है। जेब से पर्स की जगह मोबाइल और पैसों की जगह क्यूआर कोड स्केनर निकलता है। फल-सब्जी के ठेले, चाय, कचोरी, समोसा, पानी पूरी के ठेले, पेट्रोल पंप, मेडिकल स्टोर व आइसक्रीम पार्लर आदि जगहों पर इनका जमकर उपयोग हो रहा है।
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सब जगह यूपीआइ भुगतान का चलन
कोरोना काल के बाद से देशभर में यूपीआइ से भुगतान का चलन बढ़ता जा रहा है। शहरों के साथ धीरे-धीरे गांव कस्बों में भी इनका उपयोग शुरू हो गया है। बदलते दौर की बात करें तो नापाखेड़ा में भी कोई दुकान ऐसी नहीं होगी जहां डिजिटल लेन-देन की सुविधा नहीं हो। डिजिटल लेनदेन का कारोबार आसान हो गया है। लोगों की मानें तो इसमें न सिर्फ कारोबारी की सुविधा बढ गई, बल्कि खरीदारी के लिए आ रहे लोगों के लिए भी आसानी हो गई।