अप्रेल में संक्रमण ने फैलाए पैर, मई में हुई सबसे अधिक मौत जिले में मार्च २०२१ तक सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था, लेकिन जैसे ही अप्रेल माह आया तो कोरोना संक्रमण ने भी पैर फैलाने शुरू कर दिए। पहले जहां २० से २२ तक केस आने शुरू हुए, वहीं अप्रेल मध्य के बाद यह आंकड़ा ४०० तक जा पहुंचा। ऐसे में जिले में लोग दहशत में आ गए, वहीं चिकित्सालय में भी भर्ती होने वालों की संख्या बढऩे लगी। वहीं मई माह में संक्रमण की रफ्तार कम हुई, लेकिन मौतों का आंकड़ा बढऩे लगा।
अप्रेल में जहां संक्रमित मरीजों की संख्या ४१९४ रही तो मौतों की संख्या तीन पर ही रही। वहीं दूसरी ओर मई माह में संक्रम्रण की दर में गिरावट दर्ज की गई। पूरे माह में २९५७ मरीज सामने आए, लेकिन मौतों का आकड़ा एकाएक बढ़ गया। जिले में एक माह में १६ मौत दर्ज की गई। हालांकि जून माह में राहत की बात रही। इस दौरान पूरे जून माह में केवल ३४ मरीज ही सामने है, लेकिन जुलाई माह में ९ जुलाई तक एक भी मरीज नहीं आया है। बल्कि एक्टिव केसों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की गई और ९ जुलाई को एक्टिव केस की संख्या ० पर पहुंच गई।
अप्रेल में जहां संक्रमित मरीजों की संख्या ४१९४ रही तो मौतों की संख्या तीन पर ही रही। वहीं दूसरी ओर मई माह में संक्रम्रण की दर में गिरावट दर्ज की गई। पूरे माह में २९५७ मरीज सामने आए, लेकिन मौतों का आकड़ा एकाएक बढ़ गया। जिले में एक माह में १६ मौत दर्ज की गई। हालांकि जून माह में राहत की बात रही। इस दौरान पूरे जून माह में केवल ३४ मरीज ही सामने है, लेकिन जुलाई माह में ९ जुलाई तक एक भी मरीज नहीं आया है। बल्कि एक्टिव केसों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की गई और ९ जुलाई को एक्टिव केस की संख्या ० पर पहुंच गई।
कैसे हुआ संभव
जिले में जैसे-जैसे संक्रमण की रफ्तार बढ़ती गई तो जिला प्रशासन ने नमूनों की जांच में वृद्धि कर दी। जहां अधिक संक्रमण फैल रहा था, वहां टीम गठित कर मौके पर स्वास्थ्य विभाग की टीम को भेजकर नमूने लिए गए और तुरंत संदिग्धों को क्वारंटीन किया गया। वहीं ऑक्सीजन, दवाइयों की उपलब्धता में वृद्धि कर अस्पताल में भर्ती मरीजों की जान बचाई। इसमें पूरा प्रशासनिक अमला, स्वास्थ्य विभाग की टीम के अलावा शिक्षा, महिला एवं बाल विकास के अलावा राजस्व, पंचायत राज विभाग के अधिकारी-कर्मचारी भी जुटे रहे।
जिले में जैसे-जैसे संक्रमण की रफ्तार बढ़ती गई तो जिला प्रशासन ने नमूनों की जांच में वृद्धि कर दी। जहां अधिक संक्रमण फैल रहा था, वहां टीम गठित कर मौके पर स्वास्थ्य विभाग की टीम को भेजकर नमूने लिए गए और तुरंत संदिग्धों को क्वारंटीन किया गया। वहीं ऑक्सीजन, दवाइयों की उपलब्धता में वृद्धि कर अस्पताल में भर्ती मरीजों की जान बचाई। इसमें पूरा प्रशासनिक अमला, स्वास्थ्य विभाग की टीम के अलावा शिक्षा, महिला एवं बाल विकास के अलावा राजस्व, पंचायत राज विभाग के अधिकारी-कर्मचारी भी जुटे रहे।
ग्रामीण क्षेत्र में जहां मौतों का आंकड़ा बढ़ा, वहां पर सामान्य मौत पर भी कोरोना प्रॉटोकला के तहत ही अंतिम संस्कार किया गया। साथ ही जांच बढ़ाने पर कोरोना संक्रमित मिले। कोरोना पर लगाम लगाने में कामयाबी मिली। दो राज्यों के बीच फंसा था धौलपुर धौलपुर जिला राजस्थान के अंतिम छोर पर तो है ही, मध्यप्रदेश तथा उत्तरप्रदेश से भी सटा हुआ है। ऐसे में आगरा तथा मुरैना-ग्वालियर में संक्रमण तथा मौत की दर अधिक होने के कारण धौलपुर में भी संक्रमण की आशंका रहती है। जिले के अधिकांश व्यापार यूपी व एमपी पर ही निर्भर है। साथ ही नाते-रिश्तेदारी भी दोनों ही प्रदेश में है। ऐसे में आवागमन निरंतर बना रहता है।
आंकड़ों में संक्रमण..
आंकड़ों में संक्रमण..
माह पॉजिटिव मौत अप्रेल ४१९४ ३ मई २९५७ १६ जून ३४ ० जुलाई ०० ०० कुल ११००४ ४८ (अब तक)
इनका कहना है जिले में जन सहभागिता से ही कोरोना की जंग जीती गई है। फिर भी लोगों को सावधान रहना होगा।
इनका कहना है जिले में जन सहभागिता से ही कोरोना की जंग जीती गई है। फिर भी लोगों को सावधान रहना होगा।
राकेश कुमार जायसवाल, जिला कलक्टर, धौलपुर।