अजमेर. आमतौर पर सदस्यों का पद रिक्त होने के कारण न्यायालयों में मुकदमों की सुनवाई नहीं होती है, पक्षकारों को आगामी तारीखे दे दी जाती है, लेकिन राजस्थान कर बोर्ड में इसका उल्टा हो रहा है। सुनवाई के लिए एक नहीं बल्की तीन सदस्य मौजूद है लेकिन मुकदमों की सुनवाई के बजाय राज्यभर के पक्षकारों को केवल तारीखें ही दी जा रही है। इसका कारण है कर बोर्ड में अध्यक्ष का पद रिक्त होना। अध्यक्ष ही मुकदमों की सुनवाई के लिए बेंच बनाते है। कर बोर्ड के अध्यक्ष गिरीराज सिंह 30 अप्रेल को सेवानिवृत हो गए। इसके बाद कोराना लॉकडाउन के चलते मुकदमों की सुनवाई ठप थी लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद भी कर बोर्ड में मुकदमों की सनुवाई अध्यक्ष का पद रिक्त होने के कारण ठप है। कर बोर्ड के तीन सदस्य, न्यायिक कार्यों से जुड़े कार्मिक ठाले बैठे हैं। पक्षकार और वकील कर बोर्ड के चक्कर लगा रहे हैं।
जिनको सौंपा अतिरिक्त भार वे पहले ही ‘व्यस्त सरकार ने हाल ही आईएएस अधिकारी टी.रविकांत को कर बोर्ड चेयरमैन का अतिरिक्त कार्यभार दिया है हालांकि वे पहले ही कई विभागों का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे है। कर बोर्ड अध्यक्ष सदस्यों के साथ खंडपीठ, वृहदपीठ में मुकदमों की सुनवाई भी करते हैं। राजस्थान कर बोर्ड में सदस्यों के 6 पद स्वीकृत हैं। इनमें से वाणिज्यकर विभाग से ए.आर सोलंकी, आरएस कोटे से डॉ.राकेश कुमार शर्मा तथा न्यायिक कोटे से सुकेश कुमार कार्यरत है। सदस्यों के 3 पद रिक्त चल रहे हैं। ऐसे में मुकदमों की सुनवाई किस तरह होगी यह समझ से परे है।
जयपुर,जोधपुर तथा उदयपुर जाती है सर्किट बेंच राजस्थान अजमेर मुख्यालय के आलावा कर बोर्ड की सर्किट बेंच क्वार्टर वाइज जोधपुर व उदयपुर में मुकदमों की एकल व खंडपीठ सुनवाई करती है। जबकि जयपुर में साप्ताहिक सार्किट बेंच जाती है लेकिन बेंच गठित नहीं होने से सर्किट बेचों पर भी मुकदमों की सुनवाई नहीं हो रही है। कर बोर्डसदस्यों की मौजूदा संख्या देखते हुए अजमेर व जयपुर में मुकदमों की सुनवाई एक साथ नहीं हो सकेगी।
नहीं ले पा रहे स्टे व्यापारियों का कहना है कि वाणिज्यिक कर विभाग ने बकाया और मांगों के निपटान के लिए डिमांड नोटिस देना शुरू कर दिया है। चूंकि टैक्स बोर्ड में काम नहीं हो रहा है इससे आम जनता / व्यवसायी को राहत नहीं मिल पा रही है उन्हें अनुचित मांग नोटिस के खिलाफ स्टे नहीं मिल पा रहा है।
सुनवाई ठप वकीलों में नाराजगी सरकारी की लापरवाही से कर बोर्ड में लम्बे समय से मुकदमों की सुनवाई ठप होने से पक्षकारों के साथ ही कर बोर्ड तथा राजस्व मंडल के अधिवक्ताओं में नाराजगी है। जोधपुर तथा उदयपुर के अधिवक्ता भी नाराजगी जता चुके हैं। अधिवक्ताओं का कहना है ऐसा लगता है जैसे राजस्थान कर बोर्ड सरकारी प्राथमिकता में ही नहीं है।
पड़ोस से सीखते तो नहीं होती परेशानी लॉक डाउन खुलने के बाद से जहां राजस्थान कर बोर्ड में मुकदमों की सुनवाई ठप है वहीं उसके पड़ोस में भूमि विवाद की सबसे बड़ी अदालत राजस्व मंडल में करीब डेढ़ माह से मुकदमों की सुनवाई बदस्तूर जारी है। राजस्व मंडल में अध्यक्ष की अनुपस्थिति में वरिष्ठ सदस्य मुकदमों की सुनवाई के लिए बेंच तय कर देता है। इससे अध्यक्ष के नहीं होने के कारण मुकदमों की सुनवाई प्रभावित नहीं होती है।
फैक्ट फाइल कर बोर्ड में अपील से सम्बन्धित 5 हजार 330 मुकदमें, निगरानी (स्टाम्प) से सम्बन्धित 1 हजार 864 मुकदमें रेक्टीफिकेशन के 168, क्रॉस/ आब्जे (अपील) के 71 मुकदमें के अलावा अपील आबकारी 23, निगरानी आबकारी10, निगरानी आरएलटी 24,रेस्टोशन के 15, विविध 29, विविध स्टाम्प के 29,रेक्टी स्टाम्प के 1, रेस्टो स्टाम्प के 3 तथा रेस्टो आबकारी का 1 मुकदमा लम्बित है। जून महीने में 105 नए मुकदमें दायर हुए।