– दायर किए प्रार्थना पत्र, सुनवाई अब 24 जनवरी को अजमेर. ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर को ‘भगवान संकट मोचन महादेव विराजमान मंदिर’ घोषित कराने के मामले में शुक्रवार को सिविल कोर्ट में सुनवाई हुई। दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से वकीलों ने उपिस्थति दी। वहीं दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन कमेटी, दरगाह दीवान आदि की ओर से प्रकरण में पक्षकार बनाए जाने को लेकर प्रार्थना पत्र दायर किए गए। इस दौरान अदालत परिसर में पूरे दिन खासी गहमागहमी रही। सिविल लाइन थाना पुलिस का जाप्ता भी तैनात रहा। मामले की अगली सुनवाई अब 24 जनवरी को होगी।
दरगाह कमेटी ने प्रकरण चलने योग्य नहीं बतायामामले में प्रतिवादी संख्या एक दरगाह कमेटी ने दीवानी प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के तहत प्रार्थना पत्र दायर कर प्रकरण को यहां चलने योग्य नहीं बताया। कमेटी का कहना रहा कि धारा 80 सीपीसी के तहत दो माह पूर्व वाद की सूचना देना अनिवार्य है। वर्शिप एक्ट के तहत पूजा अर्चना की जाती रही है। वर्तमान में सुप्रीेम कोर्ट ने इस प्रकार के प्रकरणों को लेकर प्रतिबंध लगाए हैं। ऐसे में प्रकरण चलने योग्य नहीं है।
जवाब के लिए मांगा समयवादी हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से जरिए अधिवक्ता प्रकरण में दायर अर्जियों के जवाब के लिए समय मांगा। वादी पक्ष का कहना रहा कि दरगाह कब्रगाह है। यहां वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता। इसलिए प्रकरण यहीं चलने योग्य है। अदालत ने दोनों पक्षों के तर्क सुने। वादी पक्ष ने आगामी पेशी पर जवाब देने के लिए समय मांगा।
यह बनना चाहते हैं प्रकरण में पक्षकार– खादिमों की संस्था अंजुमन कमेटी – गुलाम दस्तगीर चिश्ती- दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन – बेंगलूरु के इरफान- पंजाब के होशियारपुर निवासी राज जैन सर्वे के मामले में अर्जी लंबित
संपूर्ण परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से सर्वे कराने की मांग को लेकर पूर्व में अर्जी दायर की जा चुकी है। फिलहाल यह लंबित है।