गुरुवार अलभोर से अजमेर पर घने कोहरे की चादर लिपटी रही। जमीन और आसमान एक होते नजर आए। हवा के बर्फीले तेवर नश्तर चुभाते रहे। वाहनों, पेड़-पौधों और जमीन पर ओस बिखरी रही। दोपहर तक दृश्यता काफी कम रही।
अलाव-हीटर बने सहारा लोग सड़कों के किनारे और दुकानों के आसपास सूखी पत्तियों और लकडिय़ों से अलाव जलाकर सर्दी से राहत पाते दिखे। घरों में लोगों ने रूम हीटर और सिगड़ी जलाकर राहत पाई। कोहरे के कारण अरावली की पहाडिय़ां नजर नहीं आई।
नहीं दिखा सूरज
बुधवार को दिनभर बारिश और गुरुवार सुबह से सूरज नहीं निकला है। इससे घरों में सीलन-गलन बढ़ गई है। चाय-कॉफी दुकानों-थडिय़ों पर लोगों का जमघट दिख रहा है। अधिकतम तापमान 15.0 और न्यूनतम 13.3 डिग्री रहा।
बुधवार को दिनभर बारिश और गुरुवार सुबह से सूरज नहीं निकला है। इससे घरों में सीलन-गलन बढ़ गई है। चाय-कॉफी दुकानों-थडिय़ों पर लोगों का जमघट दिख रहा है। अधिकतम तापमान 15.0 और न्यूनतम 13.3 डिग्री रहा।
READ MORE: ईको-फे्रंडली टेक्नोक्रेट, बना रहे ऑर्गेनिक पेपर से पैन-डायरी रक्तिम तिवारी/अजमेर. प्लास्टिक और अन्य धातुओं से निर्मित पैन-डायरी और पेड़ों की कटाई से बनने वाले पेपर से धरती को नुकसान पहुंच रहा है। धरती पर कचरा बढ़ाने और प्रदूषण में इनका योगदान है। इनसे चिंतित अजमेर के कुछ टेक्नोक्रेट्स ने ऑर्गेनिक पेपर से पैन-डायरी और लिफाफे बनाने शुरू किए हैं। यह दिखने में आकर्षक, टिकाऊ होने के साथ-साथ भविष्य के बेहतरीन स्टार्ट अप साबित हो सकते हैं।
आमलोगों की तरह इंजीनियरिंग कॉलेज बड़ल्या से बी.टेक कर चुके अंकुश चौधरी, सूर्यप्रकाश समोता और उनके कुछ मित्र भी प्लास्टिक से बने बॉलपैन-रिफिल, ईंक पैन, स्केल, लकड़ी की पैंसिंल इस्तेमाल करते रहे हैं। उनकी मानें तो इस्तेमाल के बाद इन्हें फैंकना एकमात्र विकल्प है जो धरती पर कचरा और प्रदूषण बढ़ रहा है।
आमलोगों की तरह इंजीनियरिंग कॉलेज बड़ल्या से बी.टेक कर चुके अंकुश चौधरी, सूर्यप्रकाश समोता और उनके कुछ मित्र भी प्लास्टिक से बने बॉलपैन-रिफिल, ईंक पैन, स्केल, लकड़ी की पैंसिंल इस्तेमाल करते रहे हैं। उनकी मानें तो इस्तेमाल के बाद इन्हें फैंकना एकमात्र विकल्प है जो धरती पर कचरा और प्रदूषण बढ़ रहा है।