अजमेर

Curruption: जेल में जाते थे सुधरने, यूं बेखौफ चला रहे नेटवर्क

Curruption: देशभर में जेलों में हालात बदतर हो रहे हैं। जेल के भीतर कई अपराधियों के नेटवर्क संचालित हैं। अपराधियों और जेल प्रहरी, कर्मचारियों की परस्पर सांठगांठ के किस्से उजागर हो रहे हैं।

अजमेरJul 22, 2019 / 05:23 am

raktim tiwari

crime from jails

रक्तिम तिवारी/अजमेर
पुलिस काअपराधियों में भय, आमजन में विश्वास..ध्येय वाक्य जेलों में बढ़ती कारगुजारियों के आगे दरकता दिखता रहा है। कभी अपराधियों को जेल (jail) में सुधरने भेजा जाता था, ताकि वे सुधार के बाद समाज-राष्ट्र की मुख्य धारा में लौट सकें। लेकिन वक्त के साथ देशभर में जेलों में हालात बदतर हो रहे हैं। जेल के भीतर कई अपराधियों के नेटवर्क (crime network) संचालित हैं। अपराधियों और जेल प्रहरी, कर्मचारियों की परस्पर सांठगांठ के किस्से उजागर हो रहे हैं।
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अजमेर सेंट्रल जेल में बंदियों से सुविधा शुल्क के नाम पर वसूली का खेल जारी था। बीते शुक्रवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने जेल में कार्रवाई की। इस मामले में अजमेर सेंट्रल जेल का मुख्य जेल प्रहरी अरुण कुमार चौहान, भरतपुर हाल अजमेर सेंट्रल (ajmer central jail)जेल निवासी संजय सिंह, जयपुर दूदू हाल अजमेर सेंट्रल प्रहरी प्रधान बाना, नागौर परबतसर पीलवा राबडिय़ा निवासी केसाराम जाट को पकड़ा गया। इनके अलावा सजायाफ्ता बंदी लौंगिया मोहल्ला निवासी दीपक उर्फ सन्नी, सागर तेजी और दरगाह बाजार हाल लौंगिया मोहल्ला निवासी प्रवेश उर्प पोलू को पकड़ा गया। इससे पहले ही जेल में कैद ‘बड़े’ अपराधियों की नए कैदियों से अवैध वसूली, मारपीट की घटनाएं उजागर हो चुकी हैं।
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अपराधी ज्यादा शातिर…
अजमेर सहित प्रदेश और देश के प्रमुख सेंट्रल जेल में सीसीटीवी (cctv) लगे हैं। कुख्यात और हार्डकोर अपराधियों (criminals) की न्यायालयों में वीडियो कॉन्फे्रंसिंग (vedio confrencing) से सुनवाई होती है। इसके बावजूद जेलों में कैद अपराधी अपना नेटवर्क चला रहे हैं। सेंट्रल जेल, हाई सिक्योरिटी जेल से दर्जनों बार मोबाइल जब्त हो चुके हैं। कई जेल में कुख्यात गैंगस्टर (gangster) और अपराधी सेटेलाइट फोन (setelite phone)चलाते पकड़े गए हैं। मोबाइल से बातचीत रोकने के लिए जैमर भी लगाए गए हैं। लेकिन पुलिस और जेल प्रशासन को सीसीटीवी में यह घटनाएं नजर नहीं आती हैं।
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अपराधियों-स्टाफ में सांठ-गांठ….
अपराधियों और जेल स्टाफ के बीच सांठ-गांठ की घटनाएं भी कई बार उजागर हुई हैं। कैदियों को लजीज भोजन, बीड़ी-सिगरेट के पैकेट, कपड़े, मोबाइल, चप्पल, साबुन और अन्य सामान पहुंचाया जाता है। इसकी एवज में जेल प्रहरी और कर्मचारी मनमाफिक सुविधा शुल्क (srevice charge) वसूलते हैं। वे कैदियों-अपराधियों के रिश्तेदारों-परिजनों से भी सांठ-गांठ में पीछे नहीं रहते हैं। राजस्थान पत्रिका ने साल 2017 में अजमेर सेंट्रल जेल में बंदियों से सुविधा शुल्क वसूली को लेकर स्टिंग ऑपरेशन किया था। इसमें खाद्य सामग्री, मोबाइल, बीड़ी, सिगरेट तक भीतर भेजने पर वसूली का खुलासा किया गया था।
जेलों में चल रहे ये खेल….
-जून 2019 में पंजाब के नाभा हाई सिक्योरिटी जेल में धर्मग्रंथ की बेअदबली मामले में कैदियों ने एक कैदी की हत्या कर दी।
-अक्टूबर 2106 को भोपाल सेंट्रल जेल से आठ कैदी फरार हो गए थे। पुलिस ने जेल से 15 किलोमीटर दूर आठों कैदियों का एनकाउंटर किया
-दिसंबर 2018 में यूपी की देवरिया जेल में कैद माफिया अतीक अहमद पर रियल एस्टेट कारोबारी के अपहरण और रंगदारी वसूली का मामला सुर्खियों में रहा
-जुलाई 2019 में बिहार के जमुई, आरा, मुज्जफरपुर, जहानाबाद, सीवान और आरा जेल में छापेमारी कार्रवाई के दौरान चाकू, मोबाइल और चार्जर बरामद
-जून 2018 में औरंगाबाद जेल में पैन कैमरा, चाकू, मोबाइल, ईयर फोन, तम्बाकू, चिलम, 10 ग्राम गांजा, खैनी और नक्सली साहित्य बरामद
-अक्टूबर 2018 में मध्यप्रदेश की अशोक नगर जेल में कैदियों के पास पंखे की प्लेटें, ब्लेड, रेत भरी प्लास्टिक की बोतल और अन्य सामान मिला

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