रिंगटोन ने ली जगह-सरकारी ऑफिस और इंटरकॉम तक हुआ सीमित दिलीप शर्मा अजमेर. घर में बेसिक फोन की घंटी घनघनाना कभी प्रतिष्ठा की बात हुआ करती थी। लोग शान से अपना नम्बर दिया करते थे। कनेक्शन के लिए मारा-मारी थी। बैकलॉग चलता था। सांसद कोटा में जुगाड़ लगाया जाता था। पड़ोसियों को भी बात करने-कराने की सुविधा दी जाती थी। बाहर से ‘ट्रंक कॉल’ आने पर रसूखदार होने का एहसास होता था। लेकिन अब यह सब कुछ नजर नहीं आता। शहर में अब बेसिक फोन लगभग खत्म-सा हो गया है। कभी शहर में 50 हजार बेसिक फोन थे जिनका आंकड़ा अब 3000 भी नहीं है। (ब्लर्ब)
मोबाइल फोन प्रमुख वजहमोबाइल फोन आने के बाद बेसिक फोन का क्रेज खत्म हो गया। अब यह केवल सरकारी दफ्तरों व इंटरकॉम के रूप में निजी सहायक-अधिकारी के बीच संवाद तक सीमित हो गया है। इसका मासिक किराया व न्यूनतम कॉल चार्जेज भी इसका रुझान घटने की बड़ी वजह है।इंटरनेट के लिए इस्तेमाल
कुछ लोगों ने वाईफाई, इंटरनेट आदि के लिए घरों के मोबाइल फोन, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन काम आदि के लिए जरूर रखे हैं। इसके बावजूद इनकी संख्या न्यून है।टेलीफोन एक्सचेंज बंद नई तकनीक आने के बाद टेलीफोन एक्सचेंज भी बंद हो गया है। अब कुछ उपनगरों में यह कार्य कर रहा है।विभाग का दावा
ऑप्टिकल फाइबर में परिवर्तित कनेक्शन अब भी हैं। कॉपर वायर की जगह ऑप्टिकल फाईबर तकनीक आने से अब एक्सचेंज की जरुरत नहीं रह गई। बीएसएनएल के टावर भी बढ़ाए हैं। 4-जी आने के बाद विभाग की ओर उपभोक्ता आकर्षित हुए हैं।शंकरलाल मीणा
प्रधान महाप्रबंधक, बीएसएनएल-अजमेर —————————————————- आंकड़ों में फोन – एक दशक पूर्व बेसिक फोन की संख्या- 40 से 50 हजार – वर्तमान में बेसिक फोन- करीब 3000- भारत फाईबर- 12000
– मोबाइल प्रीपेड- 1.75 लाख- टावर- 300 प्लस- 4-जी प्रणाली से जुड़े – 30 टावर