14 अप्रेल से जनअनुशासन पखवाड़ा और रेड अलर्ट कफ्र्यू के बाद अब लॉकडाउन लागू किया गया है। इन 27 दिन में सरकारी और आवश्यक कामकाज कर रहे कार्मिकों और अधिकारियों के टू-व्हीलर, तिपहिया और चौपहिया वाहन संचालित हैं। इनके अलावा दूध, सब्जियों, आवश्यक वस्तुओं के सामान ढुलाई वाले वाहन चल रहे हैं। अन्य वाहन घरों में बंद हैं।
राज्य और जिले में जन अनुशासन पखवाड़ा और लॉकडाउन से वाहनों का संचालन ज्यादा नहीं हो रहा। पेट्रोल-डीजल की खपत 50 प्रतिशत रह गई है। जबकि आम दिनों में ईंधन की खपत 75 से 80 प्रतिशत तक होती थी। एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 से 65 के बीच कायम है। वाहन संचालन बंद होने से कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन 15 से 20 प्रतिशत कम हुआ है।
सालाना डीजल खपत-450 करोड़ लीटर
सालाना पेट्रोल खपत-65 करोड़ लीटर लॉकडाउन से गाडिय़ों का संचालन नहीं हो रहा। पेट्रोल-डीजल की खपत 30 प्रतिशत तक रह गई है। जबकि आम दिनों में ईंधन की खपत 65 से 70 प्रतिशत तक होती थी।
सुनीत बगई,अध्यक्ष राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन
पिछले साल भी लॉकडाउन के कारण सड़कों पर वाहन का संचालन कम था। इस बार भी राज्य में लॉकडाउन और रेड अलर्ट कफ्र्यू से ईंधन की खपत कम है। यह पर्यावरण के लिहाज से फिलहाल फायदेमंद है। लेकिन यह तात्कालिक व्यवस्था है। स्थितियां सामान्य होने पर फिर प्रदूषण बढ़ जाएगा।
प्रो. प्रवीण माथुर, पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष मदस विश्वविद्यालय