बॉयज इंजीनियरिंग और महिला इंजीनियरिंग कॉलेज (engineering college) में 19 अगस्त को दीक्षांत समारोह होगा। इस दौरान छात्र-छात्राओं को डिग्रियों का वितरण (degree distribution) होगा। इसके लिए दोनों कॉलेज ने विभिन्न कमेटियों का गठन किया है।
राजस्थान तकनीकी शिक्षा विश्वविद्यालय ने पिछले साल से प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेज में भी दीक्षांत समारोह (convocation) का आयोजन प्रारंभ किया। इस बार 19 अगस्त को राजकीय बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज में समारोह होगा। इसमें छात्र-छात्राओं को उपाधियां (degree)बांटी जाएंगी। पिछले साल की तरह छात्र-छात्राओं के लिए ड्रेसकोड निर्धारित होगा। अतिथि और शिक्षक भी पारंपरिक ड्रेसकोड (dress code) में होंगे। कॉलेज प्रशासन ने समारोह के लिए डिग्री वितरण, स्मृति चिन्ह, पंजीयन और अन्य कमेटियां गठित की हैं।
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पिछले साल 27 सितंबर को महिला और बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज का संयुक्त दीक्षांत समारोह (common function) हुआ था। इसमें केंद्रीय परियोजना परामर्शदाता (टेक्यूप-तृतीय) प्रो. प्रकाश मोहनराव खोडक़े, एआईसीटीई के प्रतिनिधि प्रो. राजपाल दहिया, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान सिक्किम (NIT Sikkim) के निदेशक प्रो. एम. सी. गोविल शामिल हुए थे। महिला इंजीनियरिंग कॉलेज 19 अगस्त को अपने दीक्षांत समारोह का पृथक आयोजन करेगा। यहां भी विभिन्न कमेटियां बनाई गई है। यहां भी छात्राओं को सफेद सलवार सूट या सफेद साड़ी (white saree) पहननी होगी।
पिछले साल 27 सितंबर को महिला और बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज का संयुक्त दीक्षांत समारोह (common function) हुआ था। इसमें केंद्रीय परियोजना परामर्शदाता (टेक्यूप-तृतीय) प्रो. प्रकाश मोहनराव खोडक़े, एआईसीटीई के प्रतिनिधि प्रो. राजपाल दहिया, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान सिक्किम (NIT Sikkim) के निदेशक प्रो. एम. सी. गोविल शामिल हुए थे। महिला इंजीनियरिंग कॉलेज 19 अगस्त को अपने दीक्षांत समारोह का पृथक आयोजन करेगा। यहां भी विभिन्न कमेटियां बनाई गई है। यहां भी छात्राओं को सफेद सलवार सूट या सफेद साड़ी (white saree) पहननी होगी।
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मांग के अनुसार नहीं मिल रहे विद्यार्थी
औद्योगिक मांग (industry demand) के अनुसार संस्थान विद्यार्थी तैयार नहीं कर रहे हैं। महज तीस फीसदी विद्यार्थियों को मुश्किल से रोजगार (jobs) मिल रहा है। सत्तर फीसदी नौजवानों का शैक्षिक, तकनीकी और अन्य पैमाने पर खरे नहीं उतरना चिंताजनक है। इसे बदलने की जरूरत है। यह बात केंद्रीय परियोजना परामर्शदाता (टेक्यूप-तृतीय) प्रो. प्रकाश मोहनराव खोडक़े ने पिछले साल महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित उपाधि वितरण समारोह में कही थी। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा था कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा (competition) में युवाओं को खुद को बनाए रखना चुनौतिपूर्ण है। पिछले दस-बीस साल में देश में भरपूर स्कूल, कॉलेज, उच्च, तकनीकी शिक्षण संस्थान खुले, लेकिन महज 23 प्रतिशत छात्र-छात्राओं को ही इनमें पढऩे का अवसर मिल रहा है।
मांग के अनुसार नहीं मिल रहे विद्यार्थी
औद्योगिक मांग (industry demand) के अनुसार संस्थान विद्यार्थी तैयार नहीं कर रहे हैं। महज तीस फीसदी विद्यार्थियों को मुश्किल से रोजगार (jobs) मिल रहा है। सत्तर फीसदी नौजवानों का शैक्षिक, तकनीकी और अन्य पैमाने पर खरे नहीं उतरना चिंताजनक है। इसे बदलने की जरूरत है। यह बात केंद्रीय परियोजना परामर्शदाता (टेक्यूप-तृतीय) प्रो. प्रकाश मोहनराव खोडक़े ने पिछले साल महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित उपाधि वितरण समारोह में कही थी। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा था कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा (competition) में युवाओं को खुद को बनाए रखना चुनौतिपूर्ण है। पिछले दस-बीस साल में देश में भरपूर स्कूल, कॉलेज, उच्च, तकनीकी शिक्षण संस्थान खुले, लेकिन महज 23 प्रतिशत छात्र-छात्राओं को ही इनमें पढऩे का अवसर मिल रहा है।
read more: Problem: कीट विज्ञानी करेंगे पोस्टमार्टम, विभाग को है इंतजार शिक्षा ग्रहण नहीं कर रहे 77 प्रतिशत विद्यार्थी ड्रॉप आउट (drop out) या अन्य कारणों से शिक्षा ग्रहण नहीं कर रहे। संस्थानों में औद्योगिक मांग के अनुसार विद्यार्थी तैयार नहीं हो रहे। इस नाकामी के पीछे स्वयं विद्यार्थी भी उत्तरदायी हैं। केवल गुरुओं, शिक्षण व्यवस्था (education system)पर दोषारोपण के बजाय उन्हें खुद से प्रतिस्पर्धा, कमजोरियों को दूर करने और आत्म अवलोकन के गुण विकसित करने होंगे।