अजमेर

आरटीआई से बचने के लिए ठेकेदारों को ‘गोपनीय पत्र ’

अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अभियंताओं ने निकाली खुद को बचाने की गली
स्मार्टसिटी के लीगसी वेस्ट प्लांट के टेंडर का मामला
गोपनीयता की आड़ में हो रहा खेल

अजमेरAug 25, 2020 / 09:02 pm

bhupendra singh

कचरा निस्तारण के लिए जोधपुर में फिर से शुरू हो सकती है बायो माइनिंग, यूनाइटेड नेशन डवलपमेंट प्रोजेक्ट ने दिखाई रुचि

भूपेन्द्र सिंह
अजमेर.अपने कारनामों के लिए चर्चित हो चुके अजमेर स्मार्ट सिटी smartcity लिमिटेड के अभियंता प्रोजेक्ट project समय पर पूरा करने और नियम कायदों की पालना के बजाय अब अपनी कारगुजारियों पर पर्दा डालने में जुट गए हैं। करोड़ों रुपयों के कामकाज में पारदर्शिता के लिए बनाए गए राजस्थान लोक उपापन में पारदर्शिता नियम (आरटीपीपी एक्ट) तथा सूचना के अधिकार अधिनियमRTI (आरटीआई एक्ट) को भी धता बताई जा रही है। अभियंता आरटीआई के दायरे में आने से बचने के लिए ठेकेदारों contractors को ‘गोपनीय’ पत्र Confidential letter जारी कर दस्तावेज मंगवा रहे हैं। टेंडर दाखिल करते समय ठेकेदार द्वारा ऑनलाइन दस्तावेज ही दिए जा सकते हैं जिन्हें सभी देख सकते हैं, लेकिन अभियंता ठेकेदारों को गोपनीय पत्र जारी कर दस्तावेज मांग रहे हैं। ऐसा ही एक मामला माइनिंग लीगेसीवेस्ट प्लांट के 14 करोड़ रुपए के ठेके में सामने आया है। इस ठेके के लिए मुम्बई की एक कम्पनी को अभियंताओं ने गोपनीय पत्र जारी किए हैं। जबकि किसी फर्म द्वारा लगाए गए दस्तावेजों का सत्यापन फोन व ई-मेल के जरिए भी किया जा सकता है।
यह है मामला

स्मार्टसिटी द्वारा माखूपुरा लैंडफिल साइड पर जमा 2.20 लाख मैट्रिक टन लीगेसी वेस्ट को प्रोसेस करने के लिए निविदा जारी की गई। इस कार्य के लिए 7 फर्मों ने निविदाएं दाखिल की। स्मार्ट सिटी अभियंताओं ने 17 जून को 2020 को तकनीकी बिड खोली लेकिन दो माह बीतने के बावजूद अभियंता और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेसी (पीएमसी) ने तकनीकी मूल्यांकन नहीं किया। जबकि कार्यों का तकनीकी मूल्यांकन 7-10 दिन के बीच होना चाहिए।
धन व समय की बर्बादी

पीएमसी को एक साल के लिए 12.40 करोड़ रुपए का ठेका स्मार्टसिटी ने दे दिया था। शर्तों के अनुसार पीएमसी के निर्धारित समय सीमा में काम नहीं करने पर 20 हजार रुपए प्रतिदिन जुर्माना लगाने का प्रावधान है। लेकिन अभियंताओं ने इस पर कभी गौर नहीं किया। चिल्ड्रन पार्क, जेएलएन मेडिसिन ब्लॉक,गांधी स्मृति उद्यान सहित विभिन्न प्रोजेक्ट निरस्त होने के साथ ही धन व समय बर्बाद हो रहा है। लेकिन इसके लिए किसी की भी जिम्मेदारी तय नहीं की गई। इसके उलट पीएमसी को अवधि विस्तार देने का प्रस्ताव बोर्ड बैठक में रख दिया गया।
यह होना है काम

नसीराबाद रोड पर बनाए गए डम्पिंग यार्ड में पड़े कचरे व शहर में प्रतिदिन उत्पादित हो रहे कचरे का निस्तारण स्मार्ट सिटी के तहत माइनिंग लीगेसी वेस्ट प्लांट प्रोजेक्ट के जरिए होना है। 27.23 एकड़ में फैले डम्पिंग यार्ड को पूरी तरह से साफ कर यहां पड़े 2 लाख 20 हजार टन कचरे को पहले प्रोसेस कर हटाया जाएगा। वेस्ट बिल्डिंग मेटेरियल को लैंडफिल में डाला जाएगा,कांच व अन्य आइटम को प्रोसेस कर उपयोग में लिया जाएगा। ठेकेदार यहा प्लांट लगाएगा। कचरे का निस्तारण करते हुए व कचरे को बेच भी सकेगा। कचरे से सडक़ भी बनाई जा सकती है।
250 टन कचरे का उत्पादन

शहर में 250 टन कचरे का उत्पादन प्रतिदिन होता है। यह कचरा नसीराबाद रोड डम्पिंग यार्ड में वर्ष 1997 से डाला जा रहा है। 15 दिसम्बर 2019 तक डम्पिगं यार्ड में 3 लाख 60 हजार 542 क्यूबिक मीटर सॉलिड वेस्ट डाला गया। यहां इस कचरे को किसी भी तरह से प्रोसेस नहीं किया जाता। जिससे सड़ता रहता है।
इनका कहना है

गोपनीय पत्र लिखे गए हंैं। भविष्य में इसकी पुनरावृति नहीं हो इसका ध्यान रखा जाएगा।अनिल विजयवर्गीयमुख्य अभियंता,अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड

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