अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर(आईपीएस) विकास सांगवान ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन में शौचालय निर्माण में दी जाने वाली सब्सिडी राशि 12 हजार रुपए में हेरफेर करने वाले गिरोह के खास गुर्गे जोधपुर लोहावट बरजासर राजीव नगर के कोजाराम विश्नोई(26) को गिरफ्तार किया। आरोपी और उसके गिरोह में शामिल सदस्यों ने पंचायत समिति अजमेर-ग्रामीण समेत टोंक, भीलवाड़ा, सवाई माधोपुर, अलवर, पाली, जोधपुर, जैसलमेर, गंगानगर, दौसा, बीकानेर, बांसवाड़ा और भरतपुर समेत अन्य जिलों की पंचायत समितियों में योजना राशि में गबन किया है।
ऐसे किया था गबन कोजाराम ने बताया कि उसका साथी शीशपाल उर्फ सुभाष जाणी व गोरधन ने मिलकर 4 फरवरी को अवैध तरीके से राज्य की कई जिलों की पंचायत समितियों के खण्ड विकास अधिकारी की एसएसओ आईडी, पासवर्ड हासिल कर ई-पंचायत, एसबीएम सर्वर से केन्द्र और राज्य सरकार की स्वच्छ भारत मिशन योजना में ग्रामीण क्षेत्र में शौचालय निर्माण के लिए प्रत्येक लाभार्थी को दी जाने वाली सब्सिडी 12 हजार रुपए अपने व अपने परिवार व सहयोगियों के बैंक खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर कर निकाल ली।
मेट थे आरोपी, प्रक्रिया के जानकार पड़ताल में आया कि शीशपाल व गोरधन ग्राम पंचायत में नरेगा में मेट का काम करते थे। उनका जोधपुर की पंचायत समिति फलौदी और घंटियाली में आना-जाना था। उन्होंने यहां से सब्सिडी ट्रांसफर प्रक्रिया समझने के बाद बीडीओ की एसएसओ आईडी व पासवर्ड चुराया। शीशपाल के ई-मित्र की दुकान है। जिससे वह सरकारी कामकाज में कम्प्युटर इस्तेमाल मे माहिर है। उन्होंने 4 से 17 फरवरी तक प्रदेश के 13 जिलों की विभिन्न पंचायत समितियों से करोड़ों की राशि ऑनलाइन ट्रांसफर कर ली।
अजमेर में खुली थी करतूत एएसपी सांगवान ने बताया कि 10 फरवरी को अजमेर-ग्रामीण पंचायत समिति के खण्ड विकास अधिकारी विजयसिंह चौहान ने क्रिश्चियन गंज थाने में रिपोर्ट दी कि स्वच्छ भारत मिशन में शौचालय बनाने के लिए लाभार्थियों को दी जाने वाले सब्सिडी का ऑनलाइन भुगतान राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय बैंक के खातों में किया जाता है। पंचायत समिति अजमेर-ग्रामीण की ओर से 31 जनवरी को भुगतान के प्रक्रियाधीन होने से जांच के लिए 7 फरवरी को देखा गया तो पाया कि एक अन्य भुगतान 4 फरवरी से प्रक्रियाधीन होना सामने आया। जिसमें 39 व्यक्तियों को 4 लाख 68 हजार रुपए ट्रांसफर होने थे। जबकि पंचायत समिति से ऐसा कोई भुगतान नहीं किया था। भुगतान के लिए जिस आईडी का उपयोग किया वह भी वर्तमान आईडी से अलग पाई गई। फर्जी भुगतान का अंदेशा होने पर भुगतान रोकने के लिए सीईओ जिला परिषद को व एसबीएम के एमआईएस मैनेजर को सूचना दी।
फिर भी निकली रकम खण्ड विकास अधिकारी चौहान की ओर से एसबीएम के एमआईएस मैनेजर को सूचना देकर भुगतान रोकने के लिए कहा गया तो उन्होंने बताया कि स्टेट खाते में राशि उपलब्ध नहीं होने से भुगतान निरस्त हो जाएगा। इस सूचना के बावजूद भुगतान हो गया। भुगतान प्रक्रिया भी विकास अधिकारी के मोबाइल पर आने वाला ओटीपी दर्ज करने के बाद पूरी होती है। लेकिन चौहान के मोबाइल पर कोई ओटीपी नहीं मिला। ऐसे में बिना ओटीपी भुगतान से फर्जी तरीके से सिस्टम से छेड़छाड़ कर बीडीओ की एसएसओ आईडी का गलत तरीके से इस्तेमाल कर राजकोष की राशि की निकासी की गई है। चौहान की रिपोर्ट पर क्रिश्चियन गंज थाना पुलिस ने धोखाधड़ी व आईटी एक्ट की धारा 66 सी व 66 डी में प्रकरण दर्जकर अनुसंधान शुरू किया।
अजमेर पाली बीडीओ की आईडी पड़ताल में आया कि आरोपियों ने पं.स. अजमेर-ग्रामीण के बीडीओ चौहान की एसएसओ आईडी व पासवर्ड के लिए पाली जिले में तैनात बीडीओ की आईडी का इस्तेमाल किया। आरोपी राजाराम से गबन में इस्तेमाल मोबाइल फोन बरामद किया। पुलिस ने आरोपी को शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया। जहां से उसे 11 जून तक पुलिस रिमांड पर सौपा। प्रकरण में एसपी विकास शर्मा के आदेश पर सीओ(नॉर्थ) छवि शर्मा के नेतृत्व में थानाप्रभारी डा. रवीश सामरिया, एएसआई भगवान सिंह, साइबर सेल सिपाही प्रवीन पूनिया, मुकेश बाना व अमरचन्द कार्रवाई में शामिल थे।
अब तक प्रदेश में 13 मुकदमे पड़ताल में आया कि 4 से 17 फरवरी तक प्रदेशभर में योजना में हुए घोटाले में अब तक 13 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। मामले में गिरोह को दबोचने के लिए स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप(एसओजी) भी जुटी थी। अब तक प्रदेश में पुलिस थाना निवाई (टोंक), ओसिया(जोधपुर), ट्रांसपोर्ट नगर (पाली), बानसूर (अलवर), सदर थाना(भीलवाड़ा), मलारना डूंगर (सवाई माधोपुर), सूरतगढ़(गंगानगर), मोहनगढ़ (जैसलमेर), कामा (भरतपुर), खाजूवाला(बीकानेर), अरथूना (बांसवाड़ा) व मानपुर थाना (दौसा) में मुकदमा दर्ज करवाया जा चुका है।