नगर निगम की ओर से सफाई कर्मचारियों की भर्ति से शहर की सफाई व्यवस्था में सुधार हुआ या नहीं लेकिन इनको प्रतिमाह तनख्वाह लाखों रुपए तनख्वाह के रूप में देने से निगम का बजट गड़बड़ा रहा है। वहीं भविष्य में इनके स्थाई होने के बाद तनख्वाह व भत्ते/ बोनस पर प्रतिमाह होने वाले करोड़ों रुपए के व्यय से स्थिति और डांवाडोल होगी। इस समस्या से निपटने के लिए निगम ने अपने आय के नए संसाधन तलाश रहा है। इसकी कवायद में उसे अब 16 साल पुराना परिपत्र याद आ गया है। इसको आधार बनाते हुए अब निगम प्रशासन ने वार्ड क्षेत्र में सिवायचक/राजकीय भूमि को अपने नाम करवाने के प्रयास शुरु किए हैं। वर्तमान में यह भूमियां अजमेर विकास प्राधिकरण के नाम है। नगर निगम ने सिवायचक भूमियां अपने नाम करवाने के लिए सरकार के वर्ष 2003 के परिपत्र का हवाला देते हुए लिए जिला कलक्टर को पत्र लिखा। मामले में प्रगति नहीं पर अब निगम ने स्वायत्त शासन विभाग को पत्र लिखा है। निगम के अनुसार राजकीय/ सिवायचक भूमि स्थानीय निकाय को राजकीय/ सिवायक भूमियां नगर निगम हस्तांतरित होनी चाहिए। लेकिन नगर निगम सीमा की राजकीय भूमि अजमेर विकास प्राधिकरण को दी जा रही है। यह भूमियां नगर निगम को हस्तांतरित की जाएं। निगम की मंशा इस भूमि पर कॉलोनी काटने तथा नीलामी के जरिए प्लाट बेचकर आय बढ़ाने की है।
कहां कितनी भूमि ग्राम चौरसियावास में 906 बीघा भूमि है। इसी तरह नौसर में 828 बीघा, कांकरदा भूणाबाय में 326 बीघा, खानपुरा में 302, परबतपुरा में 318, किरानीपुरा में 696, अजमेर थोक तेलियान में 666 बीघा, अजमेर तेलियान प्रथम में 1371, द्वितीय में 333 तथा थोक तेलियान तृतीय में 298 बीघा राजकीय भूमि है। यह भूमि प्राधिकरण के नाम है। निगम ने यह सभी भूमि निगम को हस्तांतरित करने की मांग की है।सालाना 61 करोड़ वेतन पर ही खर्च निगम 61 करोड़ 79 लाख 94 हजार रुपए सालाना कर्मचारियों के वेतनभत्तों पर खर्च करता है। अगले वर्ष इनमें बढोतरी होना तय है। निगम को वर्ष 2018-19 में 204 करोड़ 88 लाख 39 हजार रुपए की आय हुई। जबकि निगम ने 197 करोड़ 10 लाख 14 हजार रुपए खर्च किए। 450 पेंशनर्स को 50 लाख रुपए पेंशन, 300 कर्मचारियों/ अधिकारियों को 4.5 करोड़ रुपए तनख्वाह के रुप में दिए जाते हैं। जबकि 400 पुराने तथा 1000 नए सफाई कर्मचारियों की तनख्वाह पर करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। वर्तमान में नए सफाई कर्मचारियों को 12 हजार रुपए प्रतिमाह दिए जा रहे हैं जबकि इनके स्थाई होने पर इन्हें 26 हजार रुपए प्रतिमाह देने होंगें। इससे निगम पर 1 करोड़ 40 लाख रुपए का अतिरिक्त भार प्रतिमाह पड़ेगा।
यहां से होती है आय निगम को सर्वाधिक आय चुंगी कर की क्षतिपूति के रूप में 75 हाजर 62 लाख 60 हजार रुपए सरकार से मिलती है। जबकि, यूडी टैक्स से 551 लाख, निकाय सम्पत्तियों से 122 लाख, शुल्क व उपभोक्ता प्रभार से 1447 लाख, जनता को भूमि विक्रय से 207 लाख, नौका विहारसे 52 लाख, ब्याज से 526 लाख, फायर एनओसी/ एडीए से 750 लाख की आय, धरोहर से 128 लाख, चुंगीह क्षतिपूर्ति से 7562 लाख, रा’य वित्त आयोग से 1726 लाख, 14 वं वित्त आयोग से 1787 लाख,अमृत योजना से 3082 लाख, सीएम घोषणा से 1347 लाख, हैरिटेज योजना से 694 रुपए की सहित पिछले वित्तीय वर्ष में 20488.39 लाख की आय हुई।
यहां होता है खर्च कर्मचारियों के वेतन भत्ते पर 6179.94 लाख, कार्यालय व्यय पर 358 लाख, सडक़ मरम्मत, रोशनी सफाई पर 1518 लाख, ब्याज एवं वित्तीय पर 97 लाख, कार्यक्रम व्यय पर 234.61 लाख, स्थाई सम्पत्तियों पर 1605 लाख, अमानत/धरोहर पर 197 लाख, रा’य वित्त आयोग 1354 लाख, 14 वें वित्त आयोग 2731 लाख रुपए, अमृत योजना पर 2433 लाख, सीएम घोषणा पर 543 लाख, हैरिटेज योजना पर 1247 लाख, अनुदान व्यय पर 12.7 लाख सहित कुल 19710 लाख रुपए पिछले वित्तीय वर्ष में खर्च किए गए।
आनासागर से हो रही कमाई निगम आना सागर व आसपास के क्षेत्र से कमाई कर रहा है। निगम ने पिछले महीने सुभाष उद्यान का ढेका 1.82 लाख में दिया है। लवकुश उद्यान का ठेका 67 लाख में दिया गया है। जबकि नाव संचालन का ठेका 1 लाख 55 लाख में दिया गया है।
इनका कहना है लैंड बैंक तैयार करवाया जा रहा है। नगर निगम सीमा में जो सिवायचक भूमि है वह नगर निगम को मिलनी चाहिए। भीलवाड़ा तथा बीकानेर में सिवायचक भूमि नगर निगम को मिल चुकी है। निगम क्षेत्र में एडीए के दर्ज एेसी भूमि निगम के नाम दर्ज करवाने के लिए प्रयास किया जा रहा है।
चिन्मयी गोपाल,आयुक्त नगर निगम read more:अटल पेंशन और सुकन्या समृद्धि योजनाओं में पीछे