रक्तिम तिवारी/अजमेर किसी समय कॅरियर और नौकरी के लिहाज से बेहतरीन समझे जाने एमबीए कोर्स से इंजीनियर्स दूरी बना रहे हैं। बी.टेक की डिग्री लेने वाले विद्यार्थियों की एमबीए कोर्स में रुचि लगातार घट रही है। अच्छे पैकेज और जॉब नहीं मिलने से विद्यार्थियों में प्रबंधन कोर्स को लेकर अब खास उत्साह नहीं है।
अजमेर के महिला एवं बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज में मास्टर ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट कोर्स संचालित है। बॉयज कॉलेज में प्रबंधन की 120 सीट हैं। यहां पांच साल पहले राजस्थान मैनेजमेंट एप्टीट्यूटड टेस्ट (आरमेट) के जरिए प्रवेश होने तक मैनेजमेंट कोर्स की स्थिति ठीक रही। केंद्रीयकृत प्रवेश परीक्षा सीमेट से प्रवेश शुरू होने के बाद से टेक्नोक्रेट्स की कोर्स में रुचि घट रही है।
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कोर्स से बना रहे दूरी।देश में साल 2004-05 तक इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स और सामान्य युवाओं में एमबीए के लिए जबरदस्त रुझान था नामचीन आईआईएम और निजी मैनेजमेंट संस्थानों, विश्वविद्यालयों और कॉलेज में एमबीए की सभी सीट भर जाती थी। पिछले 10-15 साल में स्थिति बदल गई है। एमबीए की डिग्री को विद्यार्थी और युवा ज्यादा तवज्जो नही दे रहे हैं। खासतौर पर बी.टेक डिग्री लेने वाले इंजीनियर्स भी यह कोर्स नहीं करना चाहते हैं। वैश्विक मंदी, अच्छे पैकेज नहीं मिलने, कम्पनियों-संस्थानों को मनमाफिक दक्ष युवा नहीं मिलना भी कोर्स से दूरी के बड़े कारण हैं।
तकनीकी डिग्री में ज्यादा फायदा वैश्विक मंदी, अच्छे पैकेज नहीं मिलने, कम्पनियों-संस्थानों को मनमाफिक दक्ष युवा नहीं मिलना भी कोर्स से दूरी के बड़े कारण हैं। खासतौर पर इंजीनियरिंग संस्थानों के विद्यार्थियों की पहली पसंद तकनीकी डिग्री हो गई है। गेट परीक्षा, वोकेशनल, स्किल और कौशल आधारित पाठ्यक्रमों की शुरुआत के बाद पूरे देश में स्थिति तेजी से बदल रही है। युवा नौकरी के अलावा एन्टप्रन्योर (उद्यमिता) की तरफ कदम बढ़ाने लगे हैं। कई नौजवानों ने छोटे और बड़े स्टार्ट अप लगाने शुरू कर दिए हैं। इनमें ऑनलाइन कंसलटेंसी, कस्टमर केयर, रिटेल सर्विस, बैंकिंग और इंश्यारेंस सेक्टर से जुड़ी जॉब शामिल हैं।
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महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में बीते तीन सत्र से एमबीए में दाखिलों का ग्राफ शून्य है। बॉयज कॉलेज में भी 15 से 30 विद्यार्थियों के प्रवेश हो रहे हैं। प्रदेश के अधिकांश इंजीनियरिंग कॉलेज में संचालित एमबीए कोर्स में प्रवेश लगातार घट रहे हैं। अधिकांश संस्थानों में पूरी सीटें नहीं भर पा रही हैं। अजमेर के सावित्री कन्या महाविद्यालय, श्रमजीवी सहित कई कॉलेज में एमबीए कोर्स बंद करना पड़ा है। हालांकि महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में एमबीए की सीट पर प्रवेश नहीं घटे हैं। इसी तरह निजी विश्वविद्यालय में भी सीट भर रही हैं।
महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में बीते तीन सत्र से एमबीए में दाखिलों का ग्राफ शून्य है। बॉयज कॉलेज में भी 15 से 30 विद्यार्थियों के प्रवेश हो रहे हैं। प्रदेश के अधिकांश इंजीनियरिंग कॉलेज में संचालित एमबीए कोर्स में प्रवेश लगातार घट रहे हैं। अधिकांश संस्थानों में पूरी सीटें नहीं भर पा रही हैं। अजमेर के सावित्री कन्या महाविद्यालय, श्रमजीवी सहित कई कॉलेज में एमबीए कोर्स बंद करना पड़ा है। हालांकि महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में एमबीए की सीट पर प्रवेश नहीं घटे हैं। इसी तरह निजी विश्वविद्यालय में भी सीट भर रही हैं।