अजमेर. कोरोना के चलते डेढ़ साल से बंदियों की परिजन से फेस टू फेस मुलाकात बंद थी। इसे तकरीबन डेढ़ महीने पहले ही शुरू किया गया था। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने फिर से फेस टू फेस मुलाकात व्यवस्था को बंद कर दिया है। अब जेल में बंदियों को मोबाइल और वीडियो कॉलिंग के जरिए परिजन से मुलाकात कराई जाएगी। इस मामले में हाल ही में कारागार महानिदेशक ने आदेश जारी किया है। आदेश में बंदियों की परिजन से व्यक्तिगत मुलाकात पर कोरोनावायरस की वर्तमान स्थिति को देखते हुए रोक लगाई गई है।
5 मिनट तक हो सकती है बात वर्ष 2020 में 2021 में कोरोनावायरस के कारण बंदियों की परिजन से व्यक्तिगत मुलाकात बंद थी। वर्ष 2020 में अप्रेल से दिसंबर तक बंदी परिजन से फेस टू फेस मुलाकात नहीं कर सके। वर्ष 2021 में कोरोनावायरस कम हुआ तो जनवरी में मुलाकात वापस शुरू की गई। तकरीबन 25 दिनों तक फेस टू फेस मुलाकात जारी रही। कोरोना बढ़ा तो यह व्यवस्था वापस बंद कर दी गई। कोरोनाकाल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रदेशभर के 9278 बंदियों की अपने परिजन से बात कराई गई। वहीं तीन लाख से अधिक बार बंदियों की फोन पर बात कराई गई। नियमानुसार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में एक बंदी 5 मिनट तक अपने परिजन से बात कर सकता है।
अजमेर जेल के हालात अजमेर जेल में तकरीबन 10५0 बंदियों को रखे जाने की क्षमता है। वहीं हाई सिक्योरिटी जेल में लगभग २५० बंदी रखे जा सकते हैं। आंकड़े बताते हैं कि केंद्रीय कारागार में अक्सर क्षमता से ज्यादा बंदी होते हैं। विचाराधीन बंदी जरूर कम ज्यादा होते रहते हैं।
निम्बाहेड़ा जेल में फैला कोरोना बंदियों की परिजन से मुलाकात पर रोक का यह फैसला जेल में कोरोना का प्रसार रोकने के लिए किया गया है। पहली लहर में प्रदेश की कई जेलों में बंदी कोरोना से संक्रमित मिले थे। हाल ही में चित्तौडग़ढ़ जिले की निम्बाहेड़ा सब जेल में एक साथ ३८ बंदी कोरोना पॉजीटिव पाए गए। जेल प्रशासन ने इन बंदियों को अलग बैरक में आइसोलेट कराया। चिकित्सकों की एक टीम उनकी देखरेख के लिए तैनात की गई।
जरूरी है मुलाकात जेल प्रशासन का मानना है कि बंदियों को तनाव से मुक्त करने एवं अपराध की दुनिया से बाहर निकालने के लिए परिजन से मुलाकात जरूरी है। परिजन से मिलने से उनके दिमाग में अपराध संबंधी विचार कम आते हैं। इसका फायदा यह है कि जेल में रहकर वह समाज व परिवार के साथ जुड़कर जीवन बिताने की सोचते हैं। मनोचिकित्सक का मानना है कि बंदियों के दिमाग को दूसरी तरफ लगाना और स्थिर रखना जरूरी है। बंदी अपनों से मिलकर अपराध की दुनिया से बाहर निकलने का प्रयास करते हैं। सरकार व समाज भी गलती करने वाले व्यक्ति को सुधारना चाहता है। इसलिए परिजन से बंदियांे की व्यक्तिगत मुलाकात जरूरी है।
मुकेश भाटी, डिप्टी जेलर, अजमेर का कहना है जेल में बंदियों और परिजनों की व्यक्तिगत मुलाकात कर कोरोना बढऩे के कारण रोक लगाई गई है। वर्तमान में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुलाकात कराने की व्यवस्था है।
मुकेश भाटी, डिप्टी जेलर, अजमेर का कहना है जेल में बंदियों और परिजनों की व्यक्तिगत मुलाकात कर कोरोना बढऩे के कारण रोक लगाई गई है। वर्तमान में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुलाकात कराने की व्यवस्था है।