केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से सम्बद्ध स्कूल शिक्षकों को ढंग से कॉपियां जांचने के साथ-साथ परीक्षा संचालन में सहयोग देना होगा। बोर्ड ने दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं के चलते निर्देश जारी किए हैं।
सीबीएसई की दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं जारी हैं। बोर्ड से सम्बद्ध सभी स्कूल को इसमें सहयोग देना होगा। नियम 13, उपनियम 4 के अनुसार सभी स्कूल को परीक्षाओं के दौरान आवश्यक फर्नीचर और संसाधन जुटाने होंगे। इसके अलावा बोर्ड की आवश्यकतानुसार कॉपियों के मूल्यांकन के लिए स्कूल प्रबंधन और प्राचार्यों को शिक्षकों को ड्यूटी पर भेजना होगा। इसमें कोताही बरतने पर बोर्ड नियमानुसार कार्रवाई और स्कूल की सम्बद्धता निरस्त करेगा।
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कॉपियों की जांच शुरूसीबीएसई दसवीं और बारहवीं की कॉपियों की जांच शुरू करा चुका है। प्रायोगिक परीक्षा के अंक मंगवाए जा चुके हैं। सीबीएसई के अजमेर, नई दिल्ली, पंचकुला, गुवाहाटी, प्रयागराज, देहरादून, पटना, भुवनेश्वर, चेन्नई, तिरुवंतपुरम सहित नवगठित बेंगलूरू, चंडीगढ़, भोपाल, नोएडा, पुणे एवं दिल्ली वेस्ट रीजन में दसवीं और बारहवीं के करीब 32 लाख नियमित और स्वयंपाठी विद्यार्थी परीक्षा दे रहे हैं।
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यह दिए बोर्ड ने निर्देश
-परीक्षा पोर्टल पर सभी शिक्षकों का पंजीयन
-कॉपी मूल्यांकन के लिए ड्यूटी पर लगाए गए शिक्षकों को तत्काल करना होगा रिलीव
-संबंधित शिक्षकों की स्कूल कार्यों में अन्यत्र नहीं लगाएं ड्यूटी
-सीबीएसई के मूल्यांकन पूर्व प्रशिक्षण में शिक्षकों की उपस्थिति
यह दिए बोर्ड ने निर्देश
-परीक्षा पोर्टल पर सभी शिक्षकों का पंजीयन
-कॉपी मूल्यांकन के लिए ड्यूटी पर लगाए गए शिक्षकों को तत्काल करना होगा रिलीव
-संबंधित शिक्षकों की स्कूल कार्यों में अन्यत्र नहीं लगाएं ड्यूटी
-सीबीएसई के मूल्यांकन पूर्व प्रशिक्षण में शिक्षकों की उपस्थिति
एलएलबी फस्र्ट ईयर के कोर्स में होगा ये बदलाव अजमेर. महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के त्रि-वर्षीय एलएलबी कोर्स में बदलाव होगा। सत्र 2019-20 में प्रथम वर्ष से इसकी शुरुआत होगी। इसके तहत परीक्षा के दौरान विद्यार्थियों को पहला प्रश्न करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा 20 नंबर का प्रेक्टिकल भी होगा। प्रथम वर्ष के बाद द्वितीय और तृतीय वर्ष में यह चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
एलएलबी के पाठ्यक्रम में सत्र 2017-18 में बदलाव किया गया था। इसके तहत प्रेक्टिकल और वाइवा हटाकर पूरा पेपर सौ नंबर का कर दिया गया। साथ ही दस में कोई भी प्रश्न हल करने की पद्धति लागू की गई। विश्वविद्यालय से सम्बद्ध लॉ कॉलेज में इसके विपरीत परिणाम सामने आए। प्रेक्टिकल हटाने से विद्यार्थियों की उपस्थिति का ग्राफ कम हो गया। साथ ही पासबुक से पढकऱ पेपर देने की प्रवृत्ति बढ़ गई। लिहाजा विधि संकाय की पाठ्यचर्या समिति (बीओएस) ने इसमें बदलाव की सिफारिश की है।