अवैध रूप से निर्माण किए गए 48 कच्च व पक्के आवासों, गोदाम, दुकान आदि का निर्माण नदी के प्रवाह क्षेत्र में किया गया है। टीम ने चार दिन तक चले सर्वे का सुपर इंम्पोज नक्शे से भी मिलान किया। इस दौरान सामने आया कि बड़ी संख्या व बड़े पैमाने पर नदी के बहाव क्षेत्र तथा पाट पर अतिक्रमण किया गया है।
बोराज में सर्वाधिक 31, कोटड़ा में 10 तथा हाथीखेड़ा में 7 लोगों ने अतिक्रमण कर पक्के मकान, दुकान, फैक्ट्री, गोदाम, बाड़ा, बाउंड्रीवाल का निर्माण कर अवैध कब्जा कर रखा है। जिनके भूखंड नदी क्षेत्र की भूमि से लगते हुए हैं उन्होंने नदी की जमीन दबा रखी है।
शहर के दूसरे क्षेत्र के हैं अतिक्रमी
बांडी नदी फॉयसागर से आनासागर तक प्रवाहित होती है इसकी लम्बाई तीन किलोमीटर है। राजस्व मानचित्र में बांडी नदी की चौड़ाई (माप) अलग-अलग स्थानों पर अलग है यह 60-200 मीटर है लेकिन कहीं-कहीं पर यह 76-78 मीटर भी है।
नदी के दोनों तरफ खेत एवं आबादी बस गई है। नदी के बहाव क्षेत्र में ग्राम हाथीखेड़ा, बोराज, कोटड़ा एवं थोक तेलियान की भूमि आती है। सर्वे में यह सामने आया कि 17 अतिक्रमी आर.के.पुरम के निवासी हैं जबकि 13 अज्ञात सहित अन्य अतिक्रमी शहर के दूसरे क्षेत्र के निवासी हैं लेकिन उन्होंने हाथीखेड़ा, बोराज व कोटड़ा में नदी की भूमि पर अवैध रूप से निर्माण कर लिया है।
मकान, गोदाम व फैक्ट्री का निर्माण
बड़े पैमाने पर भू-माफिया ने अतिक्रमण व अवैध निर्माण करने के साथ ही भूखंडों का बेचान भी किया गया है। खास बात यह है कि मकान के अलावा फैक्ट्री व गोदाम भी बनाए साथ ही इनके नियमन भी करवा लिए गए हैं।
थी पानी आवक की स्त्रोत
बांडी नदी के जरिए फॉयसागर का पानी बरसात के दिनों में ओवर फ्लो होकर आना सागर में पहुंचता है। इसके अलावा नाग पहाड़ का बरसाती पानी, प्रगति नगर, कोटड़ा था ज्ञान विहार कॉलोनी का बरसाती व नाले का पानी बांडी नदी के जरिए होते हुए आना सागर में पहुंचता है लेकिन अतिक्रमण के कारण बांडी नदी का अस्तित्व ही मिट रहा है। कई जगह नदी लुप्त हो गई है तो कहीं पर यह नाली में तब्दील हो गई है।