लुप्त होने के कागार पर पहुंच चुकी फाईसागर से आनासागर आ रही लुबांडी नदी (नाले) को फिर से मूल स्वरूप में लाने की तैयारी शुरु हो गई है। बांडी नदी को भू-माफियाओं तथा अतिक्रमियों की कब्जे से निकालकर जीवनदान देने के लिए अब व्यापक जांच शुरु हो गई। अजमेर विकास प्राधिकरण व तहसीलदार प्रशासन की संयुक्त टीम ने लुप्त हो रही बांड़ी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए सर्वे शुरु कर दिया है। टीम ने फायसागर से नदी का के बहाव क्षेत्र तथा पाट का सीमांकन करने के साथ ही अतिक्रमण भी चिन्हित किए हैं।
आर.के.पुरम कॉलोनी क्षेत्र में हुए सर्वे में 20 बड़े अतिक्रमण चिन्हित किए गए है। सर्वे की कार्यवाही शुरु होने से अतिक्रमियों में हड़कम्प मचा गया है। नदी के प्रवाह क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ पौधे व झाडिय़ां उगी हुई है। बांडी नदी फॉयसागर से आनासागर तक प्रवाहित होती है जिसमें ग्राम हाथीखेड़ा,बोराज, कोटड़ा एवं थोक तेलियान की भूमि आती है। राजस्व मानचित्र में बांडी नदी की चौड़ाई (माप) अलग-अलग स्थानों पर अलग है एवं नदी के दोनों तरफ खेत एवं आबादी बस गई है।
मकान, गोदाम व फैक्ट्री का निर्माण बड़े पैमाने पर भू-माफिया ने अतिक्रमण कर भूखंड बेच दिए तथा अवैध निर्माण कर लिए गए। खास बात यह है कि मकान के अलावा फैक्ट्री व गोदाम भी बनाए साथ ही इनके नियमन भी करवा लिए गए हैं। बांडी नदी के जरिए फाय सागर का पानी बरसात के दिनों में ओवर फ्लो होकर आना सागर में पहुंचता है। इसके अलावा नाग पहाड़ का बरसाती पानी, प्रगति नगर, कोटड़ा था ज्ञान विहार कॉलोनी का बरसाती व नाले का पानी बांडी नदी के जरिए होते हुए आना सागर में पहुंचता है लेकिन अतिक्रमण के कारण बांडी नदी का अस्तित्व ही मिट रहा है।नाली में तब्दील हुए नदीएडीए की शुरुआती जांच में सामने आया है कि ज्ञान विहार में बांडी नदी की करीब दो बीघा भूमि पर कब्जा कर यहां अतिक्रमियों ने फैक्ट्री व गोदाम व मकान बना लिए हैं।
शुरुआती जांच में एडीए की टीम ने बांडी नदी की करीब दो बीघा भूमि पर कब्जा कर बनाए गए पक्के अतिक्रमण भी चिन्हित किए। यहां कई अतिक्रमियों ने अतिक्रमण कर फैक्ट्री व गोदाम बना लिए हैं। लेकिन बड़ पैमाने पर अतिक्रमण के चलते व्यापक जांच शुरु हुई। यूओ नोट जारी कर चुके हैं हेड़ा फाईसागर से आ रही बांडी नदी को मूल स्वरूप में लाने के लिए एडीए अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा ने प्राधिकरण अधिकारियों इसके लिए सर्वे के निर्देश दे थे।
सर्वे में यह रिपोर्ट तैयार करनी होगी कि बांडी नदी की राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार इसका पाट (चौड़ाई) कितनी है तथा अब इसका पाट कितना रह गया है। पाट पर हुए अतिक्रमण तथा नियमन की रिपोर्ट भी तैयार करने के निर्देश दिए गए थे। हेड़ा ने बांडी नदी के सर्वे के बाद किनारों पर पिलर लगाने के भी निर्देश देने के साथ ही जिम्मेदार कार्मिकों के खिलाफ भी होगी कार्यवाही के निर्देशित किया था।