अजमेर

किसान के खेत में 40 से अधिक श्रमिकों को मिल रहा ‘रोजगार’, मिलती है तनख्वाह

कृषि के क्षेत्र में नवाचार एवं कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से कृषि करने वाला किसान अब श्रमिकों एवं महिलाओं को भी गांव में ही रोजगार उपलब्ध करवा रहा है।

अजमेरJan 10, 2023 / 03:01 pm

Kamlesh Sharma

कृषि के क्षेत्र में नवाचार एवं कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से कृषि करने वाला किसान अब श्रमिकों एवं महिलाओं को भी गांव में ही रोजगार उपलब्ध करवा रहा है।

चन्द्र प्रकाश जोशी/अजमेर। कृषि के क्षेत्र में नवाचार एवं कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से कृषि करने वाला किसान अब श्रमिकों एवं महिलाओं को भी गांव में ही रोजगार उपलब्ध करवा रहा है। किसान इन श्रमिक महिलाओं को महीने एवं सालभर की हाजिरी के अनुसार तनख्वाह देता है। श्रमिकों को भी रोजगार के लिए अन्य जगह भटकना नहीं पड़ता है।

अजमेर के नदी ग्राम में किसान रूपचंद कहार की अलग ही पहचान है। कृषि में नवाचार करने के साथ उद्यानिकी खेती में भी अच्छा उत्पादन ले रहे हैं। इंटीग्रेटेड खेती करके एक साथ दो फसल लेने वाले किसान रूपचंद खुद जुटे रहते हैं, लेकिन सबसे अधिक भरोसा खेत में काम करने वाली महिला श्रमिकों पर करते हैं।

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वे श्रमिकों को सालभर के लिए रोजगार उपलब्ध करवा रहे हैं। कहार ने बताया कि भाई के साथ करीब 50 बीघा खेत में फसलों का उत्पादन ले रहे हैं। गांव में कोई फैक्ट्री नहीं है, जहां एक साथ लोगों को रोजगार मिल सके। मगर, रूपचंद्र की मेहनत ने खेत को ही ‘फैक्ट्री’ के रूप में विकसित कर लिया।

इंटीग्रेटेड खेती की स्थिति
आंवला के साथ सरसों, गेहूं एवं गेंदा की पैदावार ली जा रही है। प्याज के साथ फूलों की खेती। फूलों की दो किस्म की पैदावार।

200 से 250 रुपए प्रतिदिन देते हैं मजदूरी
रूपचंद बताते हैं कि 30 से 40 महिला श्रमिक तो ऐसी हैं कि वे सालभर काम करती हैं। हर सीजन में खेत में काम करती हैं। सालभर इन्हें तनख्वाह के रूप में रुपए देते हैं। अगर कोई अपनी मर्जी से छुट्टी करते हैं तो बात अलग है। वे कभी यह नहीं कहते कि आज काम नहीं है, घर चले जाओ।

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यह है फायदा
लेबर अपना घर समझ कर काम करती है, काम में लापरवाही नहीं करती है। रोजगार व मजदूरी के लिए अन्य जगह नहीं भटकना पड़ता है।

गांव में ही मिल जाता है काम
महिला श्रमिक शांति ने बताया कि कई साल से वह काम कर रही हैं। रोज घर का काम करके सुबह 9 बजे खेत में आ जाते हैं। वहीं सीमा ने बताया कि गांव में ही काम मिल जाता है। इससे परिवार के भरण-पोषण में मदद मिल रही है।

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