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Ajmer Dargah: अजमेर दरगाह में शिव मंदिर मामला, दूसरे पक्ष ने दायर की याचिका, अब हिंदू सेना दिखाएगी ऐसी पुस्तक

प्रार्थी संस्था ने सिविल न्यायाधीश पश्चिम अदालत में प्रस्तुत किए गए वाद को निरस्त कराने के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर पीठ में सिविल रिट प्रस्तुत की है।

अजमेरDec 20, 2024 / 10:04 am

Rakesh Mishra

Ajmer Dargah Controversy: ख्वाजा गरीब नवाज वेलफेयर एसोसिएशन महाराष्ट्र ने ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में मंदिर होने की याचिका के खिलाफ उच्च न्यायालय में सिविल रिट प्रस्तुत की है। पदाधिकारियों ने गुरुवार को संभागीय आयुक्त, जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षक से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपने के दौरान यह जानकारी दी।
सचिव मोहमद युसूफ ने बताया कि दरगाह में मंदिर होने के गलत तथ्यों के आधार पर याचिका लगाई गई है। प्रार्थी संस्था ने सिविल न्यायाधीश पश्चिम अदालत में प्रस्तुत किए गए वाद को निरस्त कराने के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर पीठ में सिविल रिट प्रस्तुत की है।
प्रार्थी संस्था का कहना है कि शहर और देश में अमन-चैन और भाईचारा बना रहना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने भी प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के संबंध में कोई निर्णय पारित नहीं होने तक अधीनस्थ अदालत को दूसरे धर्म का धार्मिक स्थल घोषित करने के उनके समक्ष लंबित वाद में कोई निर्णय पारित नहीं करने को कहा है।

‘सुनवाई के दौरान मंदिर होने के पेश करेंगे साक्ष्य’

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने कहा कि ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर में सदियों पूर्व पृथ्वीराज चौहान के वंशज पूजा करते थे। हम अदालत में 13वीं सदी की पुस्तक पृथ्वीराज विजय, 1911 की हरविलास शारदा सहित अन्य पुस्तकों के प्रमाण पेश करेंगे।
गुप्ता ने कहा कि पूजा अधिनियम सिर्फ मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च पर लागू होता है। इसको लेकर कानूनी विशेषज्ञों से चर्चा की है। हम अदालत से सर्वेक्षण के आदेश की गुजारिश करेंगे। सनातन धर्म रक्षा संघ के अध्यक्ष अजय शर्मा ने कहा कि यह शहर अमन-सौहार्द पसंद है। संविधान में याचिका लगाने का अधिकार सबको है।
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