अजमेर. यूं तो देश में दुग्ध उत्पादन में अमूल डेयरी का एकाधिकार है, लेकिन राजस्थान भी स्वेत क्रांति (World Milk Day ) में पीछे नहीं है। दुग्ध उत्पादन में राज्य में जयपुर डेयरी के बाद अजमेर डेयरी दूसरे पायदान पर है। इसमें खास बात यह है कि अजमेर डेयरी वर्ष 1972 से अपनी खपत पूरी करने के साथ ही देश की राजधानी दिल्ली को दूध पिला रही है।
कुछ साल पहले तक प्रतिदिन 4-5 हजार लीटर दूध अजमेर से बर्फ की सिल्लियों के रूप में दिल्ली भेजा जाता था और वर्तमान में दिल्ली को 60 हजार लीटर दूध भेजा जा रहा है। इसमें 40 हजार लीटर दूध दिल्ली मिल्क स्कीम (डीएमसी) तथा 20 हजार लीटर दूध मदर डेयरी को भेजा जा रहा है। अजमेर डेयरी में प्रतिदिन 2 लाख लीटर दूध का कलेक्शन हो रहा है। पीक समय में साढ़े 4 लाख लीटर तक दूध का कलेक्शन किया जाता है।
कुछ साल पहले तक प्रतिदिन 4-5 हजार लीटर दूध अजमेर से बर्फ की सिल्लियों के रूप में दिल्ली भेजा जाता था और वर्तमान में दिल्ली को 60 हजार लीटर दूध भेजा जा रहा है। इसमें 40 हजार लीटर दूध दिल्ली मिल्क स्कीम (डीएमसी) तथा 20 हजार लीटर दूध मदर डेयरी को भेजा जा रहा है। अजमेर डेयरी में प्रतिदिन 2 लाख लीटर दूध का कलेक्शन हो रहा है। पीक समय में साढ़े 4 लाख लीटर तक दूध का कलेक्शन किया जाता है।
सिविल लाइन से हुई थी शुरुआत-
अजमेर में डेयरी की शुरुआत 1972 में हुई थी। सिविल लाइन में एक प्राइवेट प्रॉपर्टी पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसकी शुरुआत हुई थी। वर्ष 1975-76 में शहर के बाहरी क्षेत्र दौराई में 25 हजार एमएलडी का प्लांट लगाया गया। बाद में इसकी क्षमता 50 हजार एमएलडी कर दिया गया। वर्ष 1980 में प्लांट की क्षमता को 1 लाख लीटर कर दिया गया।
अजमेर में डेयरी की शुरुआत 1972 में हुई थी। सिविल लाइन में एक प्राइवेट प्रॉपर्टी पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसकी शुरुआत हुई थी। वर्ष 1975-76 में शहर के बाहरी क्षेत्र दौराई में 25 हजार एमएलडी का प्लांट लगाया गया। बाद में इसकी क्षमता 50 हजार एमएलडी कर दिया गया। वर्ष 1980 में प्लांट की क्षमता को 1 लाख लीटर कर दिया गया।
पहले केन में आता था दूध, अब बीएमसी का उपयोग-
शुरू में दूध केन में आता था। दुहारी से लेकर दूध के डेयरी तक पहुंचने में 6-7 घंटे लग जाते थे। कुछ साल पहले डेयरी ने बल्क मिल्क कूलर (बीएमसी) लगाने का अभियान शुरू किया। इसके तहत सिस्टम केन लेस होने के साथ ही सिस्टम कोल्ड चेन से जुड़ गया। गांव से बीएमसी के जरिए ठंडा दूध इंसुलेटेड टैंकर के जरिए डेयरी आता है।
शुरू में दूध केन में आता था। दुहारी से लेकर दूध के डेयरी तक पहुंचने में 6-7 घंटे लग जाते थे। कुछ साल पहले डेयरी ने बल्क मिल्क कूलर (बीएमसी) लगाने का अभियान शुरू किया। इसके तहत सिस्टम केन लेस होने के साथ ही सिस्टम कोल्ड चेन से जुड़ गया। गांव से बीएमसी के जरिए ठंडा दूध इंसुलेटेड टैंकर के जरिए डेयरी आता है।
मिलावट रोकने के लिए मिल्को मशीन-
दूध में मिलावट रोकने के लिए अजमेर डेयरी ने 276 मिल्को मशीन बीएमसी पर लगा रखी हैं। मिल्को मशीन के जरिए दूध में मिलावट, फैट, एसएनएफ की जांच होती है। दूध में फैट/वेजीटेबल ऑयल की मिलावट को रोकने के लिए डिजीटल बीआर मीटर लगाए गए हैं।
दूध में मिलावट रोकने के लिए अजमेर डेयरी ने 276 मिल्को मशीन बीएमसी पर लगा रखी हैं। मिल्को मशीन के जरिए दूध में मिलावट, फैट, एसएनएफ की जांच होती है। दूध में फैट/वेजीटेबल ऑयल की मिलावट को रोकने के लिए डिजीटल बीआर मीटर लगाए गए हैं।
अजमेर में प्रतिदिन 6 लाख लीटर दूध का उत्पादन- अजमेर में प्रतिदिन लगभग 6 लाख लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। जिसमें से अकेले अजमेर डेयरी 2 लाख लीटर दूध खरीदती है। शेष 4 लाख लीटर दूध छोटे दुग्ध विक्रेता, अमूल तथा अन्य डेरियां खरीदती हैं। अजमेर डेयरी से 732 समितियां तथा 51 हजार 800 सदस्य जुड़े हुए हैं। डेयरी की ओर से दूध के अलावा प्रतिदिन 35 हजार लीटर छाछ,10 हजार लीटर दही, पनीर, श्रीखंड, पेड़ा, बर्फी तथा मावा बनाया जाता है।
इनका कहना है… अजमेर डेयरी का ध्येय दूध की गुणवत्ता है। प्रतिदिन अजमेर डेयरी से दिल्ली को 60 हजार लीटर दूध भेजा जा रहा है। जिससे डेयरी को अच्छी आय हो रही है।
-गुलाब भाटिया, एमडी, अजमेर डेयरी