फैसले के प्रमुख निष्कर्ष – अभियोजन पक्ष रिश्वत राशि की मांग व प्राप्ति ही साबित नहीं कर सका – वार्ता की आवाजें किसने पहचानी, कोई रिकार्ड नहीं- अभियोजन स्वीकृति सभी आरोपियों के लिए जारी की गई जबकि केवल राजेश मीणा पर रकम लेने के आरोप थे
– ट्रेप कार्रवाई के बाद आकस्मिक चैकिंग के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कराई- रकम के बदले कोई लंबित कार्य करना साबित नहीं – परिवादी तो इन थानाधिकारियों में से कोई एक होना चाहिए था, वह कहता कि राशि की मांग की जा रही और वह देना नहीं चाहता- अभियोजन पक्ष ने जिले में पदस्थापित सभी थानाधिकारियों को षड्यंत्र का भाग मानते हुए आरोपी बना दिया
– केवल अभियोजन स्वीकृति के आधार पर किसी को आरोपी नहीं मान सकते- जिस अधिकारी के फोन पर कॉल डायवर्ट किए, इसके लिए सक्षम आदेश नहीं – ऐसे फोन रखने वाले अधिकारी का मोबाइल पेश नहीं किया, ना ही ऐसे अधिकारी के बयान हुए- रामदेव के मोबाइल पर हुई वार्ता के अलावा कोई सबूत नहीं
– रिश्वत की मांग का सत्यापन नहीं- गंभीर त्रुटियों के बावजूद अभियोजन के पास स्पष्टीकरण नहीं। ——————————————————————————— पहले सन्नाटा व गंभीर माहौल, बाद में बांटी मिठाई टाडा कोर्ट न्यायाधीश के पास एसीबी के प्रकरण स्थानांतरित होने के कारण प्रकरण की सुनवाई यहां हुई। सभी आरोपी सेंट्रल जेल िस्थत टाडा कोर्ट परिसर के बाहर फैसले का इंतजार करते नजर आए। मंगलवार सुबह 10 बजे से ही आरोपियों का आना शुरू हो गया। करीब साढ़े ग्यारह बजे प्रकरण का फैसला बाहर आते ही सभी के चेहरे खिल गए। आईजी मीणा, एएसपी लोकेश सोनवाल भावुक नजर आए। उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। कुछ स्थानीय पुलिस अधिकारी मिठाई लेकर पहुंचे। बरी हुए आरोपियों का मुंह मीठा कराया।
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