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अजमेर

मुनाफे का झांसा देकर करोड़ों रुपए समेट रेलकर्मी फरार

सेवानिवृत्त कर्मचारियों की जीवनभर की पूंजी ले गया आरोपी,बीमा एजेंट पत्नी के नाम पर करता था एन्ट्री, फिर देता था मुनाफे का झांसा

अजमेरMay 18, 2024 / 02:05 am

manish Singh

मुनाफे का झांसा देकर करोड़ों रुपए समेट रेलकर्मी फरार

मुनाफे का झांसा देकर करोड़ों रुपए समेट रेलकर्मी फरार

मनीष कुमार सिंह

अजमेर. शहर में रेलवे का एक कर्मचारी सैकड़ों लोगों को चपत लगाकर करोड़ों रुपए बटौर कर भूमिगत हो गया। कथित रेलकर्मी बतौर एलआईसी एजेंट रेलवे और एचएमटी के सेवानिवृत्त कर्मचारियों व उनके परिजन को बैंक से ज्यादा ब्याज व अपनी आवश्यकता की झूठी कहानियां सुनाकर रकम उधार लेता रहा। बदले में लेनदारों को अमानतनामा और बैंक के खाली खातों के चेक थमाकर फरार हो गया।

रामगंज थाना क्षेत्र में चंदवरदायीनगर, भगवानगंज, सांसी बस्ती और गौतम नगर के सैकड़ों लोग कथित एलआईसी एजेन्ट व रेलकर्मी देवेन्द्र कालोत को जीवनभर की गाढ़ी कमाई देकर पछतावे के आंसू बहा रहे हैं। पीडि़तों ने आरोपी देवेन्द्र को सेवानिवृत्ति में मिलने वाली रकम अच्छे मुनाफे के लालच में दी तो किसी ने जमापूंजी उसकी मदद के लिहाज से सौंपी। रामगंज क्षेत्र में विकास, मुकेश, प्रकाशचन्द, शालू खेमानी, सुभाषचंद जिन्दल व रामदेव गुर्जर समेत सैकड़ों लोग हैं, जो रकम गंवाने के बाद दर-दर भटक रहे हैं।

किसी को मुनाफे को तो किसी को निवेश का दिया झांसा

केस-1 : भगवानगंज सांसी बस्ती निवासी विकास की मां देवकी देवी की मृत्यु पर ग्रेज्युएटी और एलआईसी का पैसा मिला। एलआईसी एजेंट देवेन्द्र कालोत का उनके घर आना-जाना था। विकास व उसके भाई को खुदकी रेलवे की नौकरी लगने का झांसा देकर पहले 16.5 लाख, फिर 5 लाख कुल 22.5 लाख उधार लिए। छह माह से ना मूल रकम मिली ना ब्याज।

केस-2 : गौतमनगर निवासी सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी प्रकाशचन्द को आरोपी देवेन्द्र कालोत बतौर एलआईसी एजेन्ट पहचान थी। देवेन्द्र ने प्रकाशचन्द की सेवानिवृत्ति के तीसरे दिन ही म्युचल फंड में निवेश का झांसा देकर 12.5 लाख उधार ले गया। कुछ दिन ब्याज मिला। अब प्रकाशचन्द रकम के लिए भटकने को मजबूर है।

केस-3 : चंदवरदायीनगर निवासी रेलवे कर्मचारी हरीशचंद खेमानी से देवेन्द्र ने नवम्बर 2022 में 7.5 लाख रुपए उधार लिए। उधार की रकम का अमानतनामा बना हुआ था। उधार देने के कुछ माह बाद हरीशचंद खेमानी की मृत्यु हो गई। उनकी पत्नी शालू ने देवेन्द्र से तकाजा किया तो आरोपी रकम की बजाए झांसा देता रहा।

केस-4 : भगवानगंज निवासी मुकेश बड़ोतिया से देवेन्द्र ने म्युचल फंड में निवेश करने के नाम पर 2 लाख रुपए उधार लिए। बड़ोतिया के घर के पास देेवेन्द्र बतौर एलआईजी एजेंट ऑफिस संचालित करता था। मुकेश ने उस पर विश्वास करके 2 लाख रुपए उधार दे दिए। अब जनवरी 2024 से देवेन्द्र भूमिगत हो गया।

दो साल से नौकरी से नदारद

पत्रिका की पड़ताल में आया कि देवेन्द्र की 2018 में रेलवे में जयपुर डिविजन में बंगला पिओन की नौकरी लग गई। इससे पहले वह रेलवे के अधिकारी के बंगले पर कच्चे में काम करता था। वह 2022 में जयपुर डिविजन में खलासी बन गया। फिर उसका तबादला बीकानेर डिविजन में हो गया लेकिन दो साल से वह नौकरी से नदारद है। उसने रेलकर्मियों की सोसायटी से भी पैसे उठा रखे हैं। पीडित उसे कभी जयपुर, कोटा, जोधपुर, बीकानेर तो कभी प्रयागराज में तलाश रहे हैं।

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पत्नी के नाम एजेन्सी

पड़ताल में आया कि देवेन्द्र ने अजमेर में पत्नी के नाम पर एलआईसी एजेन्सी ले रखी थी। आरोपी लोगों के यहां पॉलिसी के नाम पर घर में दाखिल होता था। उनसे पहचान बढाता फिर ज्यादा मुनाफा देने और अपनी आवश्यकता के नाम पर रकम उधार लेता था।

धोखाधड़ी को एनआई एक्ट में दर्ज

पीडि़तों का कहना है कि थाने पहुंचने पर पुलिस अव्वल तो टरका देती है। ज्यादा चक्कर लगाने पर चेक अनादरण में केस दर्जकर कोर्ट भेज दिया जाता है, जबकि अमानत में ख्यानत व धोखाधड़ी का मामला दर्जकर आरोपी को पकडना चाहिए।

इनका कहना है…

आमजन को जीवनभर की गाढ़ी कमाई को निवेश करने या किसी को देने से पहले यह जांच परख लें कि रकम वापस आएगी या नहीं। इतने लोगों के साथ धोखाधड़ी की गई है तो उन्हें सुना जाएगा। नियमानुसार कानूनी कार्रवाई कर मदद की जाएगी।

– देवेन्द्र कुमार विश्नोई, एसपी, अजमेर

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