गुरुवार को सवा ग्यारह फीट पदमासन प्रतिमाओं का स्थापना समारोह हुआ। आचार्य वसुनन्दी के सानिध्य में प्रतिमाओं को विधि-विधान से पूजन कर कमल पर विराजित किया गया। इस दौरान श्रावक-श्राविकाओं ने जयकारे लगाए। सुबह शांतिधारा, अभिषेक और शांति विधान का आयोजन हुआ। मंगलाचरण और पूजन के बाद अभिनन्दन नाथ भगवान, सुमतिनाथ भगवान, पदमप्रभु नाथ भगवान, सुपाषनाथ भगवान, चन्द्राप्रभु नाथ भगवान, पुष्पदन्त नाथ भगवान, शीतलनाथ भगवान, श्रेयांस नाथ भगवान से लेकर वासपूज्य नाथ भगवान तक की प्रतिमाओं को कमल पर विराजित किया गया। इसके बाद आहारचर्या, स्वाध्याय, धार्मिक कक्षाएं हुई।
धर्मसभा में आचार्य वसुनन्दी ने कहा कि जीवन गतिशील है। जिस प्रकार अंजली में रखा जल कम होता रहता है, वैसे हमारा जीवन भी कम होता है। इसी तरह मौत और वैराग्य का भी कोई भरोसा नहीं होता। शरीर के जर्जर होने तक निर्जरा की तैयारी कर लेनी चाहिए। विनीत कुमार जैन ने बताया कि पवन जैन बढारी ने मंगलाचरण किया। इस दौरान शांतिधारा अभिषेक, शांतिविधान और अन्य कार्यक्रम हुए।