प्रदेश के 11 इंजीनियरिंग कॉलेज में स्थाई प्राचार्यों की नियुक्तियां नहीं हुई है। तकनीकी शिक्षा विभाग प्राचार्य पद के लिए आवेदन मांग चुका है। सात महीने बाद भी अजमेर सहित अन्य कॉलेज को स्थाई प्राचार्य नहीं मिल पाए हैं।
महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में वर्ष 2015 में डॉ. अजयसिंह जेठू को स्थाई प्राचार्य नियुक्त किया था। वे पिछले वर्ष इस्तीफा देकर मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में वापस जा चुके हैं। फिलहाल इस कॉलेज का प्रभार बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य प्रो. रंजन माहेश्वरी के पास है। बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थिति ज्यादा खराब है।
यहां जून 2015 से कार्यवाहक प्राचार्य ही कॉलेज चला रहे हैं। डेढ़ साल तक डॉ. जे. पी. भामू, उनके बाद छह माह तक डॉ. रोहित मिश्रा कार्यवाहक प्राचार्य रहे। बीते वर्ष मई से प्रो. माहेश्वरी कामकाज संभाले हुए है। इस कॉलेज के स्थाई प्राचार्य के लिए अप्रेल 2016 में साक्षात्कार भी हुए। लेकिन नियुक्ति का अता-पता नहीं है।
विभाग ने मांगे थे आवेदन
तकनीकी शिक्षा विभाग ने फरवरी-मार्च में अजमेर के बॉयज और महिला सहित बीकानेर के दो, झालावाड़, भरतपुर, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, धौलपुर, करौली और बारां इंजीनियरिंग कॉलेज में प्राचार्य पद के लिए आवेदन मांगे थे। हालांकि तकनीकी पेंच के चलते आवेदन प्रक्रिया बाधित हुई, लेकिन इसे पुन: ठीक किया गया।
तकनीकी शिक्षा विभाग ने फरवरी-मार्च में अजमेर के बॉयज और महिला सहित बीकानेर के दो, झालावाड़, भरतपुर, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, धौलपुर, करौली और बारां इंजीनियरिंग कॉलेज में प्राचार्य पद के लिए आवेदन मांगे थे। हालांकि तकनीकी पेंच के चलते आवेदन प्रक्रिया बाधित हुई, लेकिन इसे पुन: ठीक किया गया।
प्रोफेसर्स की रुचि कम
इंजीनियरिंग कॉलेज में ज्यादातर एमएनआईटी जयपुर के शिक्षक ही प्राचार्य बने हैं। इनके वेतनमान केंद्र सरकार के समकक्ष हैं। खासतौर पर प्रोफेसर स्तर के शिक्षाविदों के वेतनमान और पे-ग्रेड राज्य सरकार से ज्यादा हैं। ऐसे में प्रोफेसर यहां प्राचार्य नहीं बनना चाहते हैं। इसके चलते पिछले सात-आठ साल में सरकार को कई कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर को ही प्राचार्य बनाना पड़ा है।
इंजीनियरिंग कॉलेज में ज्यादातर एमएनआईटी जयपुर के शिक्षक ही प्राचार्य बने हैं। इनके वेतनमान केंद्र सरकार के समकक्ष हैं। खासतौर पर प्रोफेसर स्तर के शिक्षाविदों के वेतनमान और पे-ग्रेड राज्य सरकार से ज्यादा हैं। ऐसे में प्रोफेसर यहां प्राचार्य नहीं बनना चाहते हैं। इसके चलते पिछले सात-आठ साल में सरकार को कई कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर को ही प्राचार्य बनाना पड़ा है।
अगर आप हैं 30 प्लस तो नहीं कर सकते ये काम प्रदेश के लॉ कॉलेज में प्रथम वर्ष में दाखिलों की अधिकतम आयु फिर परेशानी बढ़ाएगी। आयु को लेकर असमंजस बरकरार है। केंद्र और राज्य सरकार, बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने अब तक स्थिति साफ नहीं की है। ऐसे में 30 साल से ज्यादा उम्र वाले विद्यार्थियों को प्रवेश से वंचित रहना पड़ सकता है।