ग्रांट की राशि से भी कम है परिश्रम की कमाई प्रवक्ता कठवाडिया ने आंकड़ों के हवाले से कहा कि राज्य के आदिवासियों के पास से एक वर्ष में 874.45 लाख रुपए के वन उत्पाद खरीदे गए थे। योजना में शामिल राज्य के लोगों में इस राशि को बांटा जाए तो प्रत्येक के हिस्से में मात्र 2512 रुपए (वार्षिक) आते हैं। यह राशि प्रतिदिन के हिसाब से 6.80 रुपए होती है। दूसरी ओर सरकार इस योजना के अंतर्गत 17.40 करोड़ रुपए का अनुदान (प्रति क्लस्टर 15 लाख) रुपए का अनुदान देती है। जो गरीबों के परिश्रम से आने वाली राशि से भी ज्यादा है। यदि इसी राशि को आदिवासियों के बैंक खाते में भेजा जाए तो यह प्रति आदिवासी के लिए लगभग 5000 हजार होती है। उनका आरोप है कि गरीब आदिवासियों के परिश्रम से केवल मल्टीनेशनल कंपनियों को लाभ हो रहा है।