मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एचएसआर) कॉरिडोर को लेकर भारतीय इंजीनियरों के लिए हाई-स्पीड रेल ट्रैक सिस्टम का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भारतीय इंजीनियरों के साथ-साथ वर्क लीडर्स के लिए यह प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया है। ट्रैक निर्माण कार्यों के लिए साइट पर केवल प्रशिक्षित और प्रमाणित इंजीनियरों व वर्क लीडर्स के मार्फत ही काम किया जाएगा। इससे जापानी एचएसआर ट्रैक सिस्टम के ‘ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी’ में भी मदद मिलेगी।जापानी शिंकानसेन एचएसआर में उपयोग की जाने वाली गिट्टी-रहित स्लैब ट्रैक सिस्टम का उपयोग भारत की पहली एचएसआर परियोजना के लिए किया जाएगा। संबंधित क्षेत्र में जापानी विशेषज्ञों के माध्यम से इस परियोजना की फंडिंग एजेंसी जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) की ओर से नामांकित जापान के गैर लाभकारी संगठन जेएआरटीएस के मार्फत प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में ट्रैक कार्य के सभी पहलुओं को कवर करने वाले 15 विभिन्न पाठ्यक्रम शामिल किए गए हैं। इसमें साइट प्रबंधकों के लिए प्रशिक्षण, ट्रैक स्लैब निर्माण, आरसी ट्रैक बेड निर्माण, रिफरेन्स पिन सर्वे तथा डेटा विश्लेषण शामिल हैं। इसके साथ ही स्लैब ट्रैक इंस्टालेशन, सीएएम इंस्टालेशन, रेल वेल्ड फिनिशिंग, रेलों की एनक्लोज्ड आर्क वेल्डिंग और टर्नआउट इंस्टालेशन आदि शामिल हैं। इस परियोजना में लगभग 1000 इंजीनियरों/वर्क लीडर्स/ टेक्निशियंस को प्रशिक्षित करने की योजना रखी गई है। इसके लिए सूरत डिपो में विशेष रूप से 3 ट्रेल लाइन का निर्माण किया गया है।
जापानी ट्रैक सिस्टम दुनिया में अनूठी है और इसे बिछाने के लिए बहुत उच्च स्तर के कौशल की आवश्यकता होती है। ट्रैक एचएसआर प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण घटक है। इसे बहुत उच्च स्तर की सटीकता से बिछाया जाना चाहिए। प्रशिक्षण कार्यक्रम में बीस जापानी विशेषज्ञ भारतीय इंजीनियरों, पर्यवेक्षकों और तकनीशियनों को गहन प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ साथ उनके कौशल को प्रमाणित करेंगे।उल्लेखनीय है कि भारत की पहली बुलेट ट्रेन अहमदाबाद और मुंबई के बीच में चलाई जानी है। इसके लिए काम जोरों पर चल रहा है।