अहमदाबाद

ट्रैकमेनों को लगाया गेटों पर,  पटरियों की सुरक्षा ताक पर

हटेंगे मानवरहित गेट की घोषणा तो कर दी…

अहमदाबादSep 25, 2018 / 11:21 pm

Pushpendra Rajput

ट्रैकमेनों को लगाया गेटों पर,  पटरियों की सुरक्षा ताक पर

अहमदाबाद. रेल प्रशासन ने 30 सितम्बर तक मानवरहित क्रॉसिंग को मानवसहित करने की आनन-फानन में घोषणा तो कर दी है, लेकिन इस आदेश ने रेलवे अधिकारियों की धड़कनें बढ़ा दी है। इसके चलते मानवरहित क्रॉसिंगों पर ट्रैकमेनों को लगाया जा रहा है। वीजापुर सेक्शन, अहमदाबाद-उदयपुर सेक्शन समेत अलग-अलग सेक्शन से दो सौ से ज्यादा ट्रैकमेनों को हटाकर गेटों पर लगा दिया गया है। रेलवे वैसे ही कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है ट्रैकमैनों को रेल प्रशासन ने गेटों पर तो लगा दिया , लेकिन अब ट्रैकों का रखरखाव सही तरीके से हो सकेगा यह कई सवाल खड़े करता है। यही नहीं मानवसहित गेटों के लिए जो संसाधन चाहिए थे वह भी मुहैया नहीं कराए गए। ज्यादातर ऐसे गेट हैं जहां जंजीरें लगाकर और अस्थायी लोहे के कैबिन बनाकर रखे गए हैं।
देखा जाए तो अहमदाबाद डिविजन में 169 मानव क्रॉसिंग रहित जहां कर्मचारियों को तैनाती की जा रही है। इन मानवरहित क्रॉसिंग को मानव सहित करने के लिए तीन शिफ्ट के हिसाब से 550 कर्मचारियों की आवश्यकता है। इन गेटों पर कर्मचारियों की तैनाती ने रेल अधिकारियों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। सभी गेट पर अस्थायी कार्य होने से रेलवे का खर्च भी बढ़ जाएगा। मौजूदा समय में 4 से 5 लाख रुपए का लागत से क्रॉसिंग को मानवसहित बनाने की व्यवस्था की जा रही है।
सभी मानवरहित क्रॉसिंग पर 30 सितम्बर तक फाटक लगाना संभव नहीं है, जिससे उन क्रॉसिंग पर दोनों ओर लोहे के पिलर लगाकर उनमें चेन बांध कर काम चलाया जा रहा है। जब भी ट्रेन आते ही तो उससे पहले गेटमैन दोनों छोर पिलरों पर लोहे की जंजीर बांधता है और स्टॉप का सिग्नल भी लगाया गया है। गेट के निकट ही गैटमेन के लिए फेब्रिकैटेड कैबिन बनाई गई है। हालांकि अभी भी कई ऐसे क्रॉसिंग हैं जहां फेब्रिकैटेड कैबिन नहीं हैं। साथ ही क्रॉसिंग पर दोनों ओर करीब 50 मीटर तक फैसिंग करनी होती है, ताकि कोई भी वाहन चालक नहीं निकल सके, लेकिन वह फेसिंग भी नहीं की गईं। रेलवे में कर्मचारियों की संख्या की कमी है। ऐसे हालातों में क्रॉसिंगों पर ट्रेकमैनों की तैनाती करना ट्रैकों की नियमित जांच पर सवाल खड़ा कर सकती है। अब शनिवार की ही बात की जाए तो तेज हवाओं के साथ बारिश होने से वीजापुर सेक्शन पर पटरी पर पेड़ गिर गया था, जहां रेल बस दौड़ाई जाती है। वहां ट्रैकमैन नहीं होने से पेड़ हटाने में काफी मशक्कत हुई।
मानवीय के साथ तकनीकी सुविधा नहीं
वेस्टर्न रेलवे एम्प्लॉयज यूनियन (डबल्यूआरईयू) के मंडल सचिव एच.एस.पाल व संगठन मंत्री संजय सूर्यबली ने कहा कि गैटमैनों की तैनाती करने से पहले प्रशासन को प्रत्येक गेट पर आवश्यक सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए। गेटमैन का कमरा, बिजली, पानी, फर्नीचर समेत सुविधाएं होनी चाहिए।। रेलपथ की जांच और मरम्मत करने वाले ट्रैकमैनों को हटाकर ट्रैक को असुरक्षित किया जा रहा है। जिन गेटों पर मानवीय सुविधा के साथ तकनीकी सुविधा भी नहीं। वह गेट स्टेशन से इंटरलॉक नहीं। अस्थायी तौर पर चेन लगाई जा रही है
उन्होंने बताया कि कुछ दिनों बाद भावनगर मंडल में गिर के जंगलों में एक शेर ने किसी गेटमैन पर हमला किया । इसके अलावा एक ट्रैकमैन को विरमगाम खंड में गेट न खोलने पर पुलिस वालों ने बुरी तरह मारा था, ऐसी कई घटनाएं सामने आती हैं। ऐसे गेटों पर गेटमैनों की 12-12 घंटों के लिए नियुक्ति की जा रही है। मेहसाणा से पाटण और कलोल से गांधीनगर जैसे खंड में तो इन गेटमेनों को ब्रोकन ड्यूटी में 16 घंटे ड्यूटी करनी पड़ती है।
ट्रैकमैन यूनियन के अहमदाबाद के मंडल सचिव अखैराम जाटव ने बताया कि कई फाटकों पर मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। कई जगह लाइट तक नहीं हैं। प्रशासन धीमी गति से कार्य कर रहा है और जल्द ही पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराने का आश्वासन दिया है।

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