अहमदाबाद. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संयुक्त राष्ट्र महासभा में छह साल पहले प्राचीन भारतीय परंपरा एवं संस्कृति की अमूल्य देन योग एवं उसके अमूल्य योगदान के बारे में क्या बताया उसके बाद से योग सीखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आगे आ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ११ दिसंबर २०१४ को घोषणा की कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
इस घोषणा का असर ये है कि अहमदाबाद में स्थित देश की पहली योग यूनिवर्सिटी लकुलिश योग यूनिवर्सिटी (एलवाईयू) में बीते छह सालों में योग की शिक्षा लेने आने वालों की संख्या में तीन गुना तक का इजाफा हुआ है। लोग योग को कैरियर के रूप में चुनने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। वे योग में बीए, बीएससी, एमए और एमएससी सरीखी स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई भी कर रहे हैं। एमफिल और पीएचडी भी करने को आगे आ रहे हैं।
मई २०१३ में गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान नरेन्द्र मोदी ने लाइफ मिशन ट्रस्ट संचालित लकुलिश योग यूनिवर्सिटी का शुभारंभ किया।
इस यूनिवर्सिटी में वर्ष २०१३-१४ में १५१ विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था, जिनकी संख्या वर्ष २०१८-१९ में तीन गुना बढ़कर ४५० पर पहुंच गई है। जून-२०१९-२० में आंकड़ा ५०० पर पहुंचने की उम्मीद विवि प्रबंधन जता रहा है। सबसे ज्यादा मांग योग टीचर्स ट्रेनिंग सर्टिफिकेट (वाईटीटीसी) कोर्स की है। इसमें सबसे ज्यादा संख्या में लोग प्रवेश ले रहे हैं।
वर्ष २०१७ में बीए में 22, बीएससी में 42 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था, जिनकी संख्या वर्ष २०१८ में बीए में 22 ही रही जबकि बीएससी में ५३ हो गई। हालांकि एमए में घटकर २३ रह गई, लेकिन एमएससी में २७ पहुंची। २०१८ से योग में एमफिल भी शुरू की, जिसमें १६ विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया।
शुरूआती वर्ष २०१३ की तुलना में २०१८ में बीए और बीएससी में प्रवेश पाने वालों की संख्या में कमी भी देखी गई है। २०१३ में बीए मेें ६८ जबकि बीएससी में ८३ ने प्रवेश लिया था। जो २०१८ में घटकर बीए में 22 और बीएससी में ५३ ही रह गया।
इस घोषणा का असर ये है कि अहमदाबाद में स्थित देश की पहली योग यूनिवर्सिटी लकुलिश योग यूनिवर्सिटी (एलवाईयू) में बीते छह सालों में योग की शिक्षा लेने आने वालों की संख्या में तीन गुना तक का इजाफा हुआ है। लोग योग को कैरियर के रूप में चुनने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। वे योग में बीए, बीएससी, एमए और एमएससी सरीखी स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई भी कर रहे हैं। एमफिल और पीएचडी भी करने को आगे आ रहे हैं।
मई २०१३ में गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान नरेन्द्र मोदी ने लाइफ मिशन ट्रस्ट संचालित लकुलिश योग यूनिवर्सिटी का शुभारंभ किया।
इस यूनिवर्सिटी में वर्ष २०१३-१४ में १५१ विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था, जिनकी संख्या वर्ष २०१८-१९ में तीन गुना बढ़कर ४५० पर पहुंच गई है। जून-२०१९-२० में आंकड़ा ५०० पर पहुंचने की उम्मीद विवि प्रबंधन जता रहा है। सबसे ज्यादा मांग योग टीचर्स ट्रेनिंग सर्टिफिकेट (वाईटीटीसी) कोर्स की है। इसमें सबसे ज्यादा संख्या में लोग प्रवेश ले रहे हैं।
वर्ष २०१७ में बीए में 22, बीएससी में 42 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था, जिनकी संख्या वर्ष २०१८ में बीए में 22 ही रही जबकि बीएससी में ५३ हो गई। हालांकि एमए में घटकर २३ रह गई, लेकिन एमएससी में २७ पहुंची। २०१८ से योग में एमफिल भी शुरू की, जिसमें १६ विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया।
शुरूआती वर्ष २०१३ की तुलना में २०१८ में बीए और बीएससी में प्रवेश पाने वालों की संख्या में कमी भी देखी गई है। २०१३ में बीए मेें ६८ जबकि बीएससी में ८३ ने प्रवेश लिया था। जो २०१८ में घटकर बीए में 22 और बीएससी में ५३ ही रह गया।
बढ़ रही है संख्या, कैरियर के रूप में चुन रहे युवा
पीएम नरेन्द्र मोदी के संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग दिवस की अहमियत बताने के बाद से योग के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ी है, जिसके बाद से दिनों दिन योग सीखने वालों की संख्या बढ़ रही है। लकुलिश योग यूनिवर्सिटी में सर्टिफिकेट से लेकर एमफिल, पीएचडी तक के कोर्स कराए जाते हैं। जिसमें छह सालों में संख्या तीन गुना तक बढ़ गई है। देशभर से लोग यहां योग सीखने आते हैं। युवा इसे कैरियर के रूप में अपनाने लगे हैं। इसमें रोजगार के भी बेहतरीन अवसर हैं।
-डॉ.चंद्र सिंह झाला, कुलपति, लकुलिश योग यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद
पीएम नरेन्द्र मोदी के संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग दिवस की अहमियत बताने के बाद से योग के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ी है, जिसके बाद से दिनों दिन योग सीखने वालों की संख्या बढ़ रही है। लकुलिश योग यूनिवर्सिटी में सर्टिफिकेट से लेकर एमफिल, पीएचडी तक के कोर्स कराए जाते हैं। जिसमें छह सालों में संख्या तीन गुना तक बढ़ गई है। देशभर से लोग यहां योग सीखने आते हैं। युवा इसे कैरियर के रूप में अपनाने लगे हैं। इसमें रोजगार के भी बेहतरीन अवसर हैं।
-डॉ.चंद्र सिंह झाला, कुलपति, लकुलिश योग यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद
तनाव, रोग से मुक्ति में मददगार के साथ रोजगार भी
योग न सिर्फ लोगों को तनाव और विभिन्न रोगों से मुक्ति दिलाने में मददगार साबित होता है, बल्कि इसकी शिक्षा और प्रशिक्षण लेने के बाद रोजगार के भी बेहतर अवसर उपलब्ध हैं। आगामी समय योग का है। सबसे ज्यादा मांग योग टीचर ट्रेनिंग सर्टिफिकेट कोर्स की है। साल में तीन सौ के करीब विद्यार्थी यह कोर्स कर रहे हैं, जो २०१५ में महज ३९ ही थे।
-सचिन पटेल, प्रभारी, योग टीचर ट्रेनिंग कोर्स, लकुलिश योग विवि
योग न सिर्फ लोगों को तनाव और विभिन्न रोगों से मुक्ति दिलाने में मददगार साबित होता है, बल्कि इसकी शिक्षा और प्रशिक्षण लेने के बाद रोजगार के भी बेहतर अवसर उपलब्ध हैं। आगामी समय योग का है। सबसे ज्यादा मांग योग टीचर ट्रेनिंग सर्टिफिकेट कोर्स की है। साल में तीन सौ के करीब विद्यार्थी यह कोर्स कर रहे हैं, जो २०१५ में महज ३९ ही थे।
-सचिन पटेल, प्रभारी, योग टीचर ट्रेनिंग कोर्स, लकुलिश योग विवि
जिम जाने वाले भी आ रहे योग सीखने
पहले ज्यादातर बुजुर्ग और बीमार व्यक्ति योग सीखने आते थे। लेकिन जब से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाना शुरू हुआ है, तब से काफी जागरुकता लोगों में आई है। आज युवा और महिलाएं बड़ी संख्या में योग सीखने आते हैं। जिम जाने वाले युवा भी आज योग को तवज्जो और अहमियत देने लगे हैं।
-धीरज वशिष्ठ, योग प्रशिक्षक
पहले ज्यादातर बुजुर्ग और बीमार व्यक्ति योग सीखने आते थे। लेकिन जब से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाना शुरू हुआ है, तब से काफी जागरुकता लोगों में आई है। आज युवा और महिलाएं बड़ी संख्या में योग सीखने आते हैं। जिम जाने वाले युवा भी आज योग को तवज्जो और अहमियत देने लगे हैं।
-धीरज वशिष्ठ, योग प्रशिक्षक
लकुलिश योग विवि में प्रवेश का ब्यौरा
वर्ष प्रवेश संख्या
२०१३-१४-१५१
२०१४-१५- १०५
२०१५-१६- ३८९
२०१६-१७ -३८८
२०१७-१८- ३८०
२०१८-१९- ४५०
-(संख्या-बीए,बीएससीए,एमए,एमएससी, डिप्लोमा, एमफिल, वाईटीटीसी सभी में प्रवेश पाने वालों की है।)
वर्ष प्रवेश संख्या
२०१३-१४-१५१
२०१४-१५- १०५
२०१५-१६- ३८९
२०१६-१७ -३८८
२०१७-१८- ३८०
२०१८-१९- ४५०
-(संख्या-बीए,बीएससीए,एमए,एमएससी, डिप्लोमा, एमफिल, वाईटीटीसी सभी में प्रवेश पाने वालों की है।)