सवा दो करोड़ रुपए खर्च इसलिए सोमनाथ ट्रस्ट की ओर से करीब सवा दो करोड़ रुपए खर्च कर मंदिर के आस-पास के जर्जरित क्षेत्र के स्थान पर रैम्प के जरिए सीधे मंदिर में पहुंचने और तीन तरफ से मंदिर से बाहर निकलने की व्यवस्था जीर्णोद्धार के तहत करवाई गई है। पहले मंदिर में प्रवेश के लिए संकड़ा मार्ग था, उसके स्थान पर अधिक संख्या में श्रद्धालुओं को अहिल्याबाई सोमनाथ मंदिर में दर्शन कराने की और आसानी से आवागमन की व्यवस्था की गई है।
अहिल्याबाई की प्रतिमा की स्थापना भी मंदिर में मालवा की पूर्व रानी अहिल्याबाई की प्रतिमा की स्थापना भी करवाई जा रही है। जीर्णोद्धार के तहत मंदिर में 16 दुकानें, 2 बड़े हॉल का निर्माण होने के साथ ही धार्मिक वस्तुओं-विधियों की और पूजा-पाठ की सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएगी। अधिक मात्रा में पूजा की सुविधा उपलब्ध करवाने का भी जीर्णोद्धार कार्य में ध्यान रखा गया है।
सोमनाथ मंदिर पर कई बार हुआ तहस-नहस, बिखरा भी सन 1026 में महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया, उसे तहस-नहस कर दिया। इसके बाद फिर यह मंदिर जीवित हुआ, गुजरात के राजा भीम के साथ मिलकर राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया। उसके बाद फिर कई बार मंदिर बिखरा और 1783 में इंदौर की पूर्व रानी अहिल्याबाई होलकर ने पुणे के पेशवा के साथ मिलकर बिखरे पड़े मंदिर के समीप अलग मंदिर और जमीन के अंदर गर्भग्रह बनावाया। सिर्फ विध्वंशक शक्तियों से अपने शिव को दूर रखना ही मकसद था। वर्तमान में इस मंदिर को पुराना सोमनाथ मंदिर और अहिल्याबाई मंदिर के नाम से जाना जाता है।
मालवा साम्राज्य, इंदौर की पूर्व रानी थीं अहिल्याबाई अहिल्याबाई होलकर, इतिहास-प्रसिद्ध सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव की पत्नी थीं। उनका जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के ग्राम चौंढी, जामखेड में हुआ था और निधन 13 अगस्त 1795 को भाद्रपद कृष्ण चतुर्दशी के दिन निधन हुआ था। अहिल्याबाई 1 दिसंबर 1767 से निधन होने तक मालवा साम्राज्य, इंदौर की रानी थीं। उनका कार्यक्षेत्र अपेक्षाकृत सीमित था। अहिल्याबाई ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भारत-भर के प्रसिद्ध तीर्थों और स्थानों में मंदिर बनवाए, घाट बनवाए, कुओं व बावडिय़ों का का निर्माण करवाया, मार्ग बनवाए-सुधरवाए, भूखों के लिए अन्न क्षेत्र खोले, प्यासों के लिए प्याऊ लगवाई, मंदिरों में शास्त्रों के मनन-चिंतन और प्रवचन के लिए विद्वानों की नियुक्ति की।
जीर्णोद्धार कार्य लगभग पूरा होने वाला है। नए रंग-रूप के साथ सोमनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों मंदिर का लोकार्पण करवाने की योजना है, उनके आगमन के लिए अनुकूल तारीख लेने के प्रयास शुरू किए गए हैं।
– प्रवीण के. लहेरी, ट्रस्टी सचिव, सोमनाथ ट्रस्ट