अहमदाबाद

Gujarat: उत्तरायण पर हर साल 10 दिनों में चली जाती है 950 पक्षियों की जान

पतंगबाजी में दिखाएं पक्षियों पर करुणा, हर साल 12 हजार पक्षी हो जाते हैं घायल

अहमदाबादJan 04, 2025 / 10:32 pm

nagendra singh rathore

गुजरात में 14 जनवरी को मनाया जाने वाला उत्तरायण पर्व पतंगबाजी के लिए देश ही नहीं पंतग महोत्सव के चलते विदेशों में भी प्रसिद्ध है। न सिर्फ 14 जनवरी बल्कि 15 जनवरी को भी बासी उत्तरायण पर्व के तहत लोग दिनभर घर की छतों पर रहते हैं। इस दौरान रंग बिरंगी पतंगों से आसमान भी रंग जाता है। शायद ही आपको यह पता होगा कि पतंगबाजी का यह लुत्फ हर साल औसतन 950 पक्षियों के लिए जानलेवा साबित होता है। हर साल औसतन 12000 पक्षी जख्मी भी जाते हैं। यह आंकड़ा 10 से 20 जनवरी के दौरान सिर्फ 10 दिनों का है।
गुजरात सरकार के वन विभाग की ओर से वर्ष 2017 से हर साल जनवरी में 10 दिन तक छेड़े जाने वाले करुणा अभियान के तहत की गई कार्यवाही के जारी आंकड़ों में यह तथ्य सामने आया है। यह दर्शाता है कि हमारा कुछ घंटों का पतंगबाजी का आनंद पक्षियों के लिए जानलेवा साबित होता है। पतंगों के पेंच लड़ाने के बाद, तेज डोर से पतंग कटने के बाद काप्यो छे…..की गूंज आनंद तो देती है, लेकिन यह दो दिन पक्षियों के लिए डर के माहौल से भरे होते हैं। ऐसे में हमें जरूरत है कि पतंगबाजी का यह उत्सव हम पक्षियों के प्रति दयाभाव और करुणा दिखाते हुए मनाएं।

आइए मिलकर मनाएं सुरक्षित पतंगोत्सव

राजस्थान पत्रिका अहमदाबाद अपने पाठकों को सुरक्षित उत्तरायण पर्व (पतंगोत्सव) मनाने के लिए प्रेरित करने को एक अभियान शुरू कर रहा है। ….ताकि पतंग उड़ाने वाली तेज डोर गगन में उड़ने वाले पक्षी के जीवन की डोर ना काटे। मजबूत चाइनीज डोर, ज्यादा कांच लेपित तेज डोर न सिर्फ पक्षियों बल्कि लोगों के लिए भी जानलेवा है। कई लोग भी घायल हो जाते हैं। इसलिए आइए हम सुरक्षित पतंगोत्सव मनाएं। सुबह 9 बजे से पहले और शाम पांच बजे के बाद पतंग ना उड़ाएं, यह समय पक्षियों के अपने घोंसलों से निकलने और लौटने का है। चाइनीज डोर, ज्यादा कांच लेपित डोर का उपयोग न करें। पतंगोत्सव बाद रोड, पेड़ों, ब्रिजों पर लटकी डोर को एकत्र कर पक्षियों व दूसरों की जिंदगी बचाएं। दूसरों को भी प्रेरित करें।

2024 में 12771 पक्षी हुए जख्मी, 1058 की मौत

गुजरात वन विभाग की ओर से जारी करुणा अभियान के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2024 में 10-20 जनवरी के दौरान करुणा अभियान के तहत राज्यभर में 12771 पक्षी उत्तरायण के दौरान तेज व चाइनीज डोर की चपेट में आने से जख्मी हुए। इनमें से 11713 को उपचार देकर स्वस्थ कर फिर उड़ा दिया गया, लेकिन 1058 की मौत हो गई। 2023 में 13008 पक्षी जख्मी हुए थे, जिसमें से 11824 को बचा लिया गया, लेकिन 1184 की मौत हो गई।

8 साल में 95 हजार पक्षी हुए घायल, 7584 की मौत

करुणा अभियान के 8 साल के आंकड़े दर्शाते हैं कि वर्ष 2017 से 2024 के दौरान राज्य में 10-20 जनवरी के दौरान पतंगबाजी के दौरान, पेड़ों फंसी डोर में फंसने से 95886 पक्षी घायल हुए। इसमें से 88302 को उपचार बाद स्वस्थ होने पर उड़ा दिया, लेकिन 7584 की मौत हो गई। जख्मी होने वाले पक्षियों में से औसतन 92 फीसदी को समय पर उपचार देकर बचाने में सफलता मिली है, लेकिन 8 फीसदी की मौत फिर भी हो जाती है।

8 साल में इतने पक्षी हुए घायल व स्वस्थ

वर्ष- जख्मी-उपचार बाद स्वस्थ -मौत

2017-7301-6597-704

2018-10571-9752-819

2019-14411-13425-986

2020-13768-12779-989

2021-9294-8546-748

2022-14762-13666-1096

2023-13008-11824-1184

2024-12771-11713-1058

(स्रोत: वन विभाग, गुजरात, करुणा अभियान के आंकड़े)

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