दोनों कोर्स के पहले बैच की रही छात्रा, हुआ फायदा बतौर एमफार्म विद्यार्थी रहने के दौरान जीटीयू के पीजी डिप्लोमा इन आईपीआर कोर्स के बारे में पता चलने पर इससे जुड़ीं। उसके बाद जब २०१६ में आईपीवीएम कोर्स आया तो उसे भी किया। दोनों ही कोर्स आज के समय में बेहतरीन हैं। इसे विद्यार्थियों को करना चाहिए। उन्हें इन कोर्सके चलते फायदा भी हुआ है। वे आज पेटेन्ट एजेंट की परीक्षा पास कर चुकी हैं।
-प्रीती चोथानी, पेटेन्ट एजेंट, छात्रा पीजीडी-आईपीआर, जीटीयू
महीने में दो दिन क्लास, वर्ष में १२० घंटे की पढ़ाई जीटीयू के ऑफ कैंपस पीजी डिप्लोमा इन आईपीआर में १२० घंटे की पढ़ाई कराई जाती है जो इस प्रकार का कोर्स कराने वाले अन्य किसी भी संस्थान या विवि की ओर से नहीं कराई जाती। महीने में दो दिन दूसरे, चौथे शनिवार, रविवार को १५-२० साल के अनुभवी इंडस्ट्री एक्सपर्ट, अधिकारी, प्रोफेसरों के लेक्चर आयोजित होते हैं। कोर्स विशेषरूप से डिजाइन किया है और ऑनलाइन उपलब्ध कराया है। दोनों ही कोर्स में व्यापारी, उद्यमी, प्रोफेसर, प्राचार्य ज्यादा प्रवेश लेते हैं। २५ से ७० साल के बुजुर्ग तक छात्र हैं। १८७ विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया, १३३ उत्तीर्ण हुए हैं उसमें से १४ पेटेन्ट एजेंट भी बन गए हैं। छह महीने के आईपीवीएम में भी ऐसा ही ट्रेंड है।
महीने में दो दिन क्लास, वर्ष में १२० घंटे की पढ़ाई जीटीयू के ऑफ कैंपस पीजी डिप्लोमा इन आईपीआर में १२० घंटे की पढ़ाई कराई जाती है जो इस प्रकार का कोर्स कराने वाले अन्य किसी भी संस्थान या विवि की ओर से नहीं कराई जाती। महीने में दो दिन दूसरे, चौथे शनिवार, रविवार को १५-२० साल के अनुभवी इंडस्ट्री एक्सपर्ट, अधिकारी, प्रोफेसरों के लेक्चर आयोजित होते हैं। कोर्स विशेषरूप से डिजाइन किया है और ऑनलाइन उपलब्ध कराया है। दोनों ही कोर्स में व्यापारी, उद्यमी, प्रोफेसर, प्राचार्य ज्यादा प्रवेश लेते हैं। २५ से ७० साल के बुजुर्ग तक छात्र हैं। १८७ विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया, १३३ उत्तीर्ण हुए हैं उसमें से १४ पेटेन्ट एजेंट भी बन गए हैं। छह महीने के आईपीवीएम में भी ऐसा ही ट्रेंड है।
-अमित पटेल, ओएसडी, पीजीडी-आईपीआर, आईपीवीएम,जीटीयू पढऩे की कोई उम्र नहीं होती, ज्ञान बढ़ाना पसंद यूको बैंक से २०१० में चीफ मैनेजर के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद मुंबई की एक ऑडिट फर्म में किया। बेटे की अहमदाबाद में नौकरी लगी तो गुजरात आए। राजकोट की एक युनिवर्सिटी मेें भी प्लेसमेंट ऑफिसर रह चुके हैं। इस दौरान उन्हें इस कोर्स का पता चला। उन्हें ज्ञान बढ़ाना पसंद है। उन्होने मुंबई में देखा कि उनसे भी ज्यादा आयु के लोग ट्रेन में सफर करते हैं। काम भी करते हैं और स्वस्थ्य हैं। तो वे क्यों नहीं ऐसा कर सकते। यह कोर्स अच्छा है। आज की जरूरत के अनुरूप है। उन्हें ज्ञान बढ़ाना पसंद है। जिससे यह कोर्स जॉइन किया है। रात को और दिन में एक-एक घंटे पढ़ाई करते हैं।
-संजीवन पाठक, ७० वर्षीय छात्र, पीजीडी-आईपीआर, जीटीयू
-संजीवन पाठक, ७० वर्षीय छात्र, पीजीडी-आईपीआर, जीटीयू