प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि बदलते समय के साथ किताबों को पढऩे की आदत बनाए रखना बहुत जरूरी है। अहमदाबाद शहर में गुरुवार को आरंभ हुए ‘कलम नो कार्निवल’ पुस्तक मेले को वर्चुअल रूप से संबोधित करते हुए उन्होंने नरसी मेहता के रचित भजन ‘वैष्णव जन तो तैने रे कहिए’ का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि यह भजन लोगों ने कई बार सुना और बोला होगा। इस भजन को लिखित रूप में अपने सामने ले कर बैठें और सोचें कि इस रचना में वर्तमान के संदर्भ में क्या क्या है? मोदी के मुताबिक लिखित रूप में अपने सामने ले कर जब इस भजन के बारे में सोचना शुरू करंगे तो वर्तमान के संदर्भ में समझने का प्रयास करेंगे। पुस्तक का हमारे पास होना, साथ होना, सामने होना, नए इनोवेशन, शोध, सोचने व तर्क-वितर्क को गहराई तक ले जाने के लिए बहुत बड़ी ताकत देता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सभी से विनती है कि कभी नया मकान बनाते वक्त, हम आर्किटेक्ट को ऐसा कहे ंकि एक ऐसी जगह बनानी चाहिए जहां पुस्तकों का भंडार रह सके।
मोदी के मुताबिक अहमदाबाद में पुस्तक मेले के जरिए गुजरात के साहित्य और ज्ञान का विस्तार हो रहा है और साथ ही नए युवा साहित्यकारों, लेखकों को भी एक मंच मिल रहा है। ‘कलम नो कार्निवल’ गुजराती भाषा के साथ-साथ, हिन्दी और अंग्रेजी भाषा की किताबों का भी एक बड़ा सम्मेलन है।
उन्होंने कहा कि वे गुजरात में एक आग्रह बहुत करते थे। कोई भी कार्यक्रम होने पर तब वे कहते थे कि बुके नहीं बुक दीजिए। हम कई बार किताब खरीदते ही नहीं है। किताब खरीदना भी एक समाज सेवा है। क्योंकि इस प्रकार के कार्यो के साथ समर्पित जो जीवन है उस जीवनो के लिए हमारा सहयोग स्वाभाविक होना चाहिए। आज किताब खरीदने की आदत डालनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह भजन लोगों ने कई बार सुना और बोला होगा। इस भजन को लिखित रूप में अपने सामने ले कर बैठें और सोचें कि इस रचना में वर्तमान के संदर्भ में क्या क्या है? मोदी के मुताबिक लिखित रूप में अपने सामने ले कर जब इस भजन के बारे में सोचना शुरू करंगे तो वर्तमान के संदर्भ में समझने का प्रयास करेंगे। पुस्तक का हमारे पास होना, साथ होना, सामने होना, नए इनोवेशन, शोध, सोचने व तर्क-वितर्क को गहराई तक ले जाने के लिए बहुत बड़ी ताकत देता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सभी से विनती है कि कभी नया मकान बनाते वक्त, हम आर्किटेक्ट को ऐसा कहे ंकि एक ऐसी जगह बनानी चाहिए जहां पुस्तकों का भंडार रह सके।
मोदी के मुताबिक अहमदाबाद में पुस्तक मेले के जरिए गुजरात के साहित्य और ज्ञान का विस्तार हो रहा है और साथ ही नए युवा साहित्यकारों, लेखकों को भी एक मंच मिल रहा है। ‘कलम नो कार्निवल’ गुजराती भाषा के साथ-साथ, हिन्दी और अंग्रेजी भाषा की किताबों का भी एक बड़ा सम्मेलन है।
उन्होंने कहा कि वे गुजरात में एक आग्रह बहुत करते थे। कोई भी कार्यक्रम होने पर तब वे कहते थे कि बुके नहीं बुक दीजिए। हम कई बार किताब खरीदते ही नहीं है। किताब खरीदना भी एक समाज सेवा है। क्योंकि इस प्रकार के कार्यो के साथ समर्पित जो जीवन है उस जीवनो के लिए हमारा सहयोग स्वाभाविक होना चाहिए। आज किताब खरीदने की आदत डालनी चाहिए।