
Ahmedabad. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) केे पूर्व वैज्ञानिक डॉ. मधुकांत पटेल ने ऐसा उपकरण विकसित किया है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता रिपोर्ट 10 सेकंड में पाई जा सकती है। अमूमन इसमें 10 दिन लगते हैं। ये देश भर के किसानों के लिए उपयोगी साबित हो सकता है।
डॉ. पटेल के उपकरण से न सिर्फ समय बल्कि संसाधन की भी बचत होगी। एक दशक की शोध कर बना यह उपकरण आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) और स्पेक्ट्रोस्कोपी सिद्धांत पर काम करता है।
इससे फोटो स्पेक्ट्रो सिग्नेचर को पहचान कर मिट्टी में मौजूद राइजोबियम, एजिटोबेक्टर, नाइट्रोबेक्टर जैसे बैक्टेरिया, ट्राइकोडेमा जैसी फफूंद, केचुआ और सेंद्रीय पोषक पदार्थों की जांच की जा सकती है। ये प्राकृतिक खेती के लिए उपयोगी तत्व हैं। परंपरागत जांच में यह रिपोर्ट नहीं मिलती। कृषि निदेशक ने उपकरण के मृदा जांच केलिबरेशन की मंजूरी दी है।
उपकरण से मिट्टी के पोषक तत्वों नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम,पीएच मान, विद्युत चालकता रिपोर्ट मिलने से किसान यह निर्णय कर सकेंगे कि खेत में फल, सब्जी, अनाज में क्या उगाया जाए, तो पैदावार अच्छी होगी।
डॉ. पटेल का कहना है कि उपकरण 1 लाख मिट्टी के नमूनों की जांच कर सकता है। उसके बाद इसके नीचे लगी छड़ और सेंसर को बदलना होगा। प्रयोगशालाओं में मृदा परीक्षण अनुभवी तकनीशियनों द्वारा किया जाता है। इस उपकरण से आम किसान भी टॉर्च की तरह मृदा परीक्षण कर सकता है।
मिट्टी की जांच में 10 दिन इसलिए लगते हैं क्योंकि सरकारी प्रयोगशालाओं में 'वेट केमिस्ट्री पद्धति' से जांच की जाती है। उसमें मिट्टी को पीसना, उसे गर्म करना, उस पर विभिन्न रसायन डालना , माइक्रोस्कोप, स्पेक्ट्रोस्कोप से जांच की जाती है। खेत से लिए मिट्टी के नमूने को लैब तक पहुंचने, फिर जांच में समय लगता है।
Published on:
07 Apr 2025 10:27 pm
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