अहमदाबाद. ऑर्गनाइजेशन फॉर इकॉनोमिक कॉ-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) की ओर से वर्ष 2021 में लिए जाने वाले प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट एसेसमेंट (पीसा) टेस्ट में भारत के प्रदर्शन में सुधार के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर (आईआईटी-गांधीनगर) के सेंटर फॉर क्रिएटिव लर्निंग (सीसीएल) को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
गणित, विज्ञान और भाषा में विद्यार्थियों की समझ और उनके दृष्टिकोण को परखने वाले इस टेस्ट में भारतीय विद्यार्थी बेहतर प्रदर्शन करें इसके लिए अभी से ही तैयारी शुरू हो गई है।
सीसीएल की ओर से केन्द्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय एवं केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के सीबीएसई स्कूलों के गणित, विज्ञान एवं भाषा के शिक्षकों को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया गया है। क्योंकि २०२१ में देशभर के 1199 केवी, ५७६ जेएनवी और चंडीगढ़ के 150 सीबीएसई स्कूलों के १०वीं कक्षा (15 साल) के विद्यार्थी पीसा में भाग लेंगे।
छह जून से आईआईटी गांधीनगर में केन्द्रीय विद्यालय (केवी) के ८० शिक्षकों को 12 दिनों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन्हें गणित, विज्ञान को रोचक तरीके से कैसे पढ़ाया जाए ताकि बच्चों में गणित के जटिल प्रश्नों को चुटकियों में हल करने की रुचि पैदा हो। इसके लिए उन्हें मॉडल और खिलौने बनाते हुए किस प्रकार से गणित एवं विज्ञान को रुचिकर और मनोरंजक तरीके से पढ़ाया जा सकता है उसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 2020 में मॉक टेस्ट होना है, जिसके लिए अभी से तैयारी शुरू की है।
गणित, विज्ञान और भाषा में विद्यार्थियों की समझ और उनके दृष्टिकोण को परखने वाले इस टेस्ट में भारतीय विद्यार्थी बेहतर प्रदर्शन करें इसके लिए अभी से ही तैयारी शुरू हो गई है।
सीसीएल की ओर से केन्द्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय एवं केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के सीबीएसई स्कूलों के गणित, विज्ञान एवं भाषा के शिक्षकों को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया गया है। क्योंकि २०२१ में देशभर के 1199 केवी, ५७६ जेएनवी और चंडीगढ़ के 150 सीबीएसई स्कूलों के १०वीं कक्षा (15 साल) के विद्यार्थी पीसा में भाग लेंगे।
छह जून से आईआईटी गांधीनगर में केन्द्रीय विद्यालय (केवी) के ८० शिक्षकों को 12 दिनों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन्हें गणित, विज्ञान को रोचक तरीके से कैसे पढ़ाया जाए ताकि बच्चों में गणित के जटिल प्रश्नों को चुटकियों में हल करने की रुचि पैदा हो। इसके लिए उन्हें मॉडल और खिलौने बनाते हुए किस प्रकार से गणित एवं विज्ञान को रुचिकर और मनोरंजक तरीके से पढ़ाया जा सकता है उसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 2020 में मॉक टेस्ट होना है, जिसके लिए अभी से तैयारी शुरू की है।
२००९ में भारत का स्थान था 72वां
दरअसल वर्ष २००९ में लिए गए प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट एसेसमेंट (पीसा) टेस्ट में भारत का शर्मनाक प्रदर्शन रहा था। वर्ष २०१२ में आए परिणाम में उस समय इसमें शामिल हुए ७४ देशों में भारत का स्थान 73वां और 72वां था। केवल कजाकिस्तान ही भारत से पीछे था। ये दर्शाता है कि भारत में स्कूली शिक्षा की स्थिति किस प्रकार की है। उस समय हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु के स्कूली विद्यार्थियों ने इसमें शिरकत की थी।
दरअसल वर्ष २००९ में लिए गए प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट एसेसमेंट (पीसा) टेस्ट में भारत का शर्मनाक प्रदर्शन रहा था। वर्ष २०१२ में आए परिणाम में उस समय इसमें शामिल हुए ७४ देशों में भारत का स्थान 73वां और 72वां था। केवल कजाकिस्तान ही भारत से पीछे था। ये दर्शाता है कि भारत में स्कूली शिक्षा की स्थिति किस प्रकार की है। उस समय हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु के स्कूली विद्यार्थियों ने इसमें शिरकत की थी।
चेती है सरकार, गंभीर भी
पीसा टेस्ट २००९ में भारत के शर्मनाक प्रदर्शन से भारत सरकार चेती है और इसमें सुधार के लिए गंभीर भी है, यही वजह है कि इसके लिए केन्द्रीय विद्यालय आयुक्त और सीबीएसई आयुक्त ने आईआईटी गांधीनगर के सीसीएल से संपर्क किया है। सीसीएल में खिलौने और मॉडल बनाने में विद्यार्थियों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए उन्हें गणित और विज्ञान के सूत्र को रोचक तरीके से समझाया जाता है। इसके लिए ४५० गतिविधियां विशेषरूप से डिजाइन की गई हैं। कमजोर प्रदर्शन की वजह में हमने पाया कि शिक्षकों का ज्यादातर ध्यान कोर्स पूरा कराने में रहता है। विद्यार्थियों की समझ और दृष्टिकोण तथा रुचि को विकसित करने में नहीं। जिससे विद्यार्थियों को यही समझ नहीं है कि एक किलो लोहा खरीदा जाए या एक लीटर लोहा? या फिर एक लीटर तेल लाएं या एक किलो तेल तो ठीक रहेगा? सीसीएल में विद्यार्थियों को रटाते नहीं समझाते हैं, जिससे उनकी रुचि बढ़ती है, समझ आती है। दृष्टिकोण विकसित होता है। सीसीएल देश के केवी, जेएनवी और चंडीगढ़ के विज्ञान के 100, गणित के 100 और भाषा-अंग्रेजी के 100 शिक्षकों को मास्टर ट्रेनर्स की ट्रेनिंग देगा। जो फिर अपने यहां जाकर अन्य स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षण देंगे।
-प्रो.मनीष जैन, प्रमुख, सीसीएल, गांधीनगर
पीसा टेस्ट २००९ में भारत के शर्मनाक प्रदर्शन से भारत सरकार चेती है और इसमें सुधार के लिए गंभीर भी है, यही वजह है कि इसके लिए केन्द्रीय विद्यालय आयुक्त और सीबीएसई आयुक्त ने आईआईटी गांधीनगर के सीसीएल से संपर्क किया है। सीसीएल में खिलौने और मॉडल बनाने में विद्यार्थियों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए उन्हें गणित और विज्ञान के सूत्र को रोचक तरीके से समझाया जाता है। इसके लिए ४५० गतिविधियां विशेषरूप से डिजाइन की गई हैं। कमजोर प्रदर्शन की वजह में हमने पाया कि शिक्षकों का ज्यादातर ध्यान कोर्स पूरा कराने में रहता है। विद्यार्थियों की समझ और दृष्टिकोण तथा रुचि को विकसित करने में नहीं। जिससे विद्यार्थियों को यही समझ नहीं है कि एक किलो लोहा खरीदा जाए या एक लीटर लोहा? या फिर एक लीटर तेल लाएं या एक किलो तेल तो ठीक रहेगा? सीसीएल में विद्यार्थियों को रटाते नहीं समझाते हैं, जिससे उनकी रुचि बढ़ती है, समझ आती है। दृष्टिकोण विकसित होता है। सीसीएल देश के केवी, जेएनवी और चंडीगढ़ के विज्ञान के 100, गणित के 100 और भाषा-अंग्रेजी के 100 शिक्षकों को मास्टर ट्रेनर्स की ट्रेनिंग देगा। जो फिर अपने यहां जाकर अन्य स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षण देंगे।
-प्रो.मनीष जैन, प्रमुख, सीसीएल, गांधीनगर
प्रशिक्षण ले रहे शिक्षक बोले, रोचक तरीका
-सीसीएल में खिलौने और मॉडल के जरिए गणित और विज्ञान को जिस प्रकार से रोचक और मनोरंजक तरीके से सिखाना बताया गया ये उनके लिए भी काफी रोचक था। वाकई में यह विद्यार्थियों में रुचि जगाने वाला और उनकी समझ को बढ़ाने वाला है।
-मेहजबीन मलिक,शिक्षिका (गणित), केवी एएफएस, वडोदरा
-सीसीएल में खिलौने और मॉडल के जरिए गणित और विज्ञान को जिस प्रकार से रोचक और मनोरंजक तरीके से सिखाना बताया गया ये उनके लिए भी काफी रोचक था। वाकई में यह विद्यार्थियों में रुचि जगाने वाला और उनकी समझ को बढ़ाने वाला है।
-मेहजबीन मलिक,शिक्षिका (गणित), केवी एएफएस, वडोदरा
-बच्चों में गणित और विज्ञान को पढऩे की रुचि कैसे विकसित की जाए उसका बेहतरीन तरीका यहां सीखने को मिला है। कैसे हमारी दिनचर्या की प्रत्येक गतिविधि में गणित और विज्ञान शामिल है और उसे उसी के हिसाब से कैसे समझा सकते हैं वह यहां सीखने को मिला है।
-डॉ.सुषमा एहलावत, शिक्षिका विज्ञान, डीपीएस-४५ गुडग़ांव
-डॉ.सुषमा एहलावत, शिक्षिका विज्ञान, डीपीएस-४५ गुडग़ांव
-अभी तक ज्यादातर ध्यान कोर्स को पूरा करने और उसे ही पढ़ाने में रहता है, लेकिन किस प्रकार से कोर्स को भी रोचक गतिविधियों के जरिए पढ़ा सकते हैं। वह यहां सीखने को मिला।
-अंकिता दुधरेजा, शिक्षिका-विज्ञान, डीएवी, गुडग़ांव, हरियाणा
-अंकिता दुधरेजा, शिक्षिका-विज्ञान, डीएवी, गुडग़ांव, हरियाणा