जागनाथ महादेव मंदिर में सुबह से शाम तक भक्तों का आवागमन जारी रहता है। मंगला आरती के बाद रामधुन, रामायण पाठ, सहित विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। जब महिसागर नदी को दिया श्राप
दो हजार वर्ष पुराने आणंद शहर में हाडगुड रोड स्थित जागनाथ महादेव मंदिर में शिवलिंग एक हजार वर्ष पुराना माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार आणंद एवं जिटोडिया गांव के बीच से महिसागर नदी गुजरती थी लेकिन जागनाथ महादेव के निकट स्थित मम्मादेवी की प्रतिमा ने महिसागर नदी को दूर जाने का श्राप दिया था। इसके चलते नदी दूर होती गई और आज महिसागर नदी १२ किलोमीटर दूर वासद गांव से बह रही है। आज भी मंदिर के निकट खुदाई के दौरान जमीन से रेती की पपड़ी मिलती हैं, जिससे लगता है कि नदी पहले यहंां से बहती थी।
गुप्त शासन के समय भी था मंदिर जागनाथ महादेव मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान खुदाई के समय मंदिर से गुप्त शासन की १८ इंच लम्बी, ११ इंच चौड़ी एवं ढाई इंच मोटी प्राचीन ईंटें मिली, जिन्हें देखकर माना जाता है कि जागनाथ महादेव मंदिर कुमार गुप्त के शासन में महिसागर नदी के किनारे था। यहां ४०० वर्ष पूर्व शिवलिंग एवं छोटा मंदिर था।
सर्व प्रथम यहां पर काशीपुरी महाराज ने मंदिर की सफाई की और पूजा अर्चना शुरू की थी। काशीपुरी महाराज के बाद उनके शिष्य नारायणपुरी महाराज एवं इसके बाद स्वामी शंकरपुरी महाराज ने सेवा अर्चना शुरू की। शंकरपुरी के बाद उनके शिष्य स्वामी दुर्गापुरी और अब गादिपति रमेशपुरी महाराज पूजा करते हैं।
सर्व प्रथम यहां पर काशीपुरी महाराज ने मंदिर की सफाई की और पूजा अर्चना शुरू की थी। काशीपुरी महाराज के बाद उनके शिष्य नारायणपुरी महाराज एवं इसके बाद स्वामी शंकरपुरी महाराज ने सेवा अर्चना शुरू की। शंकरपुरी के बाद उनके शिष्य स्वामी दुर्गापुरी और अब गादिपति रमेशपुरी महाराज पूजा करते हैं।
साढ़े पांच करोड़ से अधिक ‘ओम नम: शिवायÓ के जाप लेखन एकत्रित मंदिर में रोजाना पूजा-अर्चना के साथ-साथ विभिन्न धाॢमक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिनमें ओम नम: शिवाय जाप के लेखन का कार्य भी होता है। अब तक साढ़े पांच करोड़ से अधिक जाप लेखन एकत्रित किए गए हैं और मंत्र लेखन पुस्किाएं फिलहाल मंदिर में रखी गई हैं। संत सेवा के लिए मंदिर लोकप्रिया बन गया है। यहां पर एक छोटी गोशाला है। दरिद्रनारायणों के लिए रोजना भंडारा होता है और गुरुकुल एवं आर्युवैदिक अस्पताल भी चलता है, जहां निशुल्क दवाई एवं उपचार मिलता है। योग शिविर का भी संचालन किया जाता है।
-स्वामी रमेशपुरी महाराज-गादिपति महंत, जागनाथ मंदिर।