IIT- Gandhinagar : ब्लैक हॉल के विलय से संगीत की खोज
गांधीनगर. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-गांधीनगर (आईआईटी-गांधीनगर) और चेन्नई गणितीय संस्थान के शोधकर्ताओं की एक टीम ने दो विषम ब्लैक हॉल के विलय से खगोलीय गुरुत्व-तरंग सिग्नल्स की अस्पष्ट हायर हार्मोनिक्स- सिम्फनी को पकडऩे में महत्वपूर्ण योगदान किया है।
इन गुरुत्वाकर्षण तरंगों को जीडबल्यू-190412 नाम दिया गया, जो स्पष्ट रूप से विभिन्न आकारों के दो ब्लैक हॉल के एक-दूसरे के साथ घूमने और विलय मे से उत्पन्न हुए थे। यह यू.एस.ए. के लीगो वैज्ञानिक सहयोग और इटली के विरगो सहयोग से अवलोकित किया गया था। यह विलय लगभग 2 अरब साल पहले हुआ था जब पृथ्वी पर शायद एककोशिकीय जीव थे। ये सिग्नल विस्तारते ब्रह्मांड को पार कर पिछले 12 अप्रैल को लीगो डिटेक्टरों तक पहुंचे। इन गुरुत्वाकर्षण तरंगों के परिणामों की पुष्टि करने के लिए विस्तृत विश्लेषण में एक वर्ष से अधिक का समय लगा।
लीगो व विरगो डिटेक्टर ने पहली बार लगाया पता
यह पहली बार है जब लीगो और विरगो डिटेक्टरों ने दो ब्लैक हॉल के विलय से गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाया है, जिसमे से एक दूसरे से बहुत बड़ा है। दो ब्लैक हॉल के स्पष्ट रूप से अलग-अलग कद सूर्य की तुलना में 8 से 30 गुना बड़े हैं। आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत द्वारा आगाह की हुई एस्ट्रोफिझिकल गुरुत्वाकर्षण तरंग सिग्नल के अस्पष्ट घटकों (हायर हार्मोनिक्स) को भी पहली बार लीगो और विरगो के डाटा में पाया गया है। आईआईटी-गांधीनगर में भौतिकी के पीएचडी छात्र सौमेन रॉय, भौतिकी के एसोसिएट प्रोफेसर प्रो आनंद सेनगुप्ता और सीएमआई चेन्नई के एक प्रोफेसर के जी अरुण ने यह संभव बनाया, जिन्होंने ब्रह्मांड से अस्पष्ट सिग्नल्स को पकडऩे और गुरुत्वाकर्षण तरंगों के उत्सर्जन में उन्हें अच्छे से “सुनने” के लिए एक नई तकनीक विकसित की थी।
आईआईटी-गांधीनगर टीम की ओर से विकसित इस नई तकनीक ने स्पेक्ट्रोग्राम बनाने के लिए वेवलेट डीकम्पोजिशन के रूप में जानी जाने वाली सिग्नल प्रोसेसिंग तकनीक का उपयोग किया, जिसके जरिए गुरुत्वाकर्षण-तरंग सिग्नल के विभिन्न घटकों को अलग किया जा सकता है। जिस प्रकार सफेद प्रकाश के मार्ग में रखा गया प्रिज्म विभिन्न रंगों को अलग करता है, उसी तरह सिग्नल घटकों को अलग करने के लिए एक स्पेक्ट्रोग्राम का उपयोग किया जा सकता है।
ब्लैक ***** लगभग आकार में समान होने पर इन हायर हार्मोनिक्स या हायर मल्टिपोल्स घटकों का विश्लेषण करना बहुत मुश्किल है। जीडबल्यू 190412 सिस्टम के विषम आकार ने सिग्नल के इन हायर हार्मोनिक्स की आवाज को इतना बडा कर दिया कि टीम द्वारा विकसित डाटा विश्लेषण एल्गोरिदम द्वारा इसे पहचाना और बेहतर “सुना” जा सके।
इस उल्लेखनीय खोज पर अपने विचार साझा करते हुए, भौतिकी के प्रोफेसर आनंद सेनगुप्ता ने कहा, वे उस गति से चकित थे जिसके साथ नई विकसित तकनीक लीगो डाटा में सफल रही।
पीएचडी के छात्र सौमेन रॉय ने कहा कि जब उन्होंने यह आवाज़ “सुनी” तो वे बहुत खुश हुए। यह भीड़ भरे बाजार में माइक्रोफोन लगाने और 100 मील दूर से एक पक्षी की चहक सुनने जैसा था, जहां वे एक निशाचर पक्षी था जो एक अंधेरे कमरे में काम कर रहा था। पहली बार, हमारी युक्ति एक दूसरे के साथ घूमने वाले ब्लैक ***** के सभी तत्वों को उजागर करने में सक्षम रही है।