गुजरात चुनाव से 6 महीने पहले कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले हार्दिक पटेल ने पार्टी पर आरोपों की बौछार कर दी। गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में इस्तीफे को लेकर अपनी बातें रखते हुए 28 वर्षीय हार्दिक पटेल ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा जातिवाद की राजनीति की है। पार्टी जरूरी मुद्दे पर चुप है। राम मंदिर, सीएए-एनआरसी, धारा 370, ज्ञान व्यापी मस्जिद जैसे मुद्दों पर क्यों नहीं बोलती। कांग्रेस गुजरात में 30 वर्षोंं से सत्ता से बाहर है और यदि हाल रहा तो पार्टी अगले 20 साल तक सत्ता में नहीं आ पाएगी।
कांग्रेस को मिला आंदोलन का फायदा उन्होंने पार्टी के गुजरात प्रभारी डॉ रघु शर्मा के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि गुजरात में उनके आंदोलन से कांग्रेस को फायदा हुआ। इसमें वर्ष 2015 के जिला या तहसील पंचायत के चुनाव हों या फिर 2017 के विधानसभा चुनाव हों, इन सभी में कांग्रेस को लाभ मिला। पाटीदार नेता ने कहा जो नेता आज उन्हें भला-बुरा कह रहे हैं, उन्होंने ही कांग्रेस में जुडऩे को कहा था। पार्टी में जब भी कोई मजबूत नेता होता है तो पार्टी यह सुनिश्चित करने में जुटी रहती है कि वे कुछ भी करने में असमर्थ हों। यदि उनके खिलाफ पाटीदार आंदोलन आरक्षण से जुड़े केस हटवाने होते तो वे उस समय कांग्रेस के बजाय भाजपा में शामिल हो जाते।
कई नेता, विधायक पार्टी से नाराज गुजरात में पाटीदार समुदाय या कोई भी दूसरा समुदाय हो, उन्हें कांग्रेस में पीडि़त होना पड़ता है। कांग्रेस में सच बोलने पर बड़े नेता आपको बदनाम करते हैं और यही उनकी रणनीति है। उन्होंने दावा किया कि गुजरात में सिर्फ हार्दिक पटेल ही कांग्रेस से नाराज नहीं है। गुजरात में कई नेता और विधायक हैं जिनका कांग्रेस में इस्तेमाल हुआ है। उन्होंने कहा कि 70 के दशक में जहां चिमन भाई पटेल के साथ ऐसा ही बर्ताव हुआ वहीं पिछले कुछ वर्षों में विठ्ठल रादडिय़ा और नरहरि अमीन के साथ किया गया।