ऐसे कारोबारियों के मायाजाल में फंसकर सैलानी ऑनलाइन टैक्स जमा कर रसीद ले लेते हैं, लेकिन जब चेकपोस्ट या रास्ते में राजस्थान परिवहन विभाग के अधिकारी टैक्स की रसीद मांगते हैंं तो उसे फर्जी बताकर उनसे जुर्माना वसूला जाता है। कई ऐसे परिवहन अधिकारी भी है जो उन्हें दलालों के पास भेजकर मामले की सुलझाने को सैलानियों से कहते हैं। ऐसे ही गुजराती सैलानी अनिल शाह इन जालसाजों का शिकार बने हैं। जो अहमदाबाद के राजपथ क्लब के निदेशक हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्थान-गुजरात से सटी मावल सीमा पर आरटीओ टैक्स के नाम जालसाजी की जा रही है। गुजरात से राजस्थान जाते मावल सीमा पर समय ६ नवम्बर को एक दुकानदार से राजपथ क्लब ग्रुप के टैम्पो ट्रैवल्र्स की आरटीओ टैक्स की ऑनलाइन रसीद निकलवाई थी, लेकिन 98 नवम्बर को लौटते समय आबूरोड (सिरोही) आरटीओ चेकपोस्ट के निकट परिवहन विभाग की जीप खड़ी थी, जिसमें कर्मचारियों ने रसीद की जांच की तो उन्होंने उसे फर्जी करार दिया और पचास हजार रुपए जुर्माना लगा दिया। जब यह टैक्स जमा कराने में असमर्थता जताई तो परिवहन अधिकारी बिचौलिये के जरिए लेनदेन कर मामले को सुलझाने की बात कही। बाद में राजस्थान सरकार के एक मंत्री से बात कराई तो वाहन तो छोड़ दिया गया।
उनका कहना है कि ऐसे कई सैलानी हैं, जिनसे ऐसी जालसाजी होती है। राजस्थान सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। परिवहन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के बगैर ऐसे किस्से नहीं हो सकते है। इस नेटवर्क को खत्म करना चाहिए।