इस सेंटर के संयोजक व संस्कृत विभाग के प्राध्यापक डॉ. अतुल उनागर बताते हैं कि केन्द्र की विशेषता यह रहेगी कि इसमें संस्कृत सिखाने के लिए विशेषकर बोलना सिखाने के लिए १०० घंटे का अल्पकालिक पाठ्क्रम शुरू किया जाएगा। ज्यादा से ज्यादा लोग इसका लाभ ले सकें इसके लिए शनिवार शाम और रविवार सुबह को अवकाश के दिनों में इसे सिखाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इसकी विशेषता यह है कि इसमें आयु की कोई सीमा नहीं है, ना ही पढ़े-लिखे होने की बाध्यता है। कोई भी, किसी भी वर्ग का व्यक्ति इस केन्द्र का लाभ ले सकता है। स्कूली विद्यार्थियों के लिए भी एक अलग से कोर्स शुरू किया जाएगा। इसे बुधवार और शुक्रवार को सिखाया जाएगा।
इसका मुख्य उद्देश्य संस्कृत भाषा को उसकी खोई हुई प्रसिद्धि वापस दिलाना है। इसके अलावा संस्कृत भाषा में बोलने वालों की संख्या को बढ़ाना है, ताकि देवभाषा के रूप में पहचानी जाने वाली इस भाषा के जानकार देश में बढ़ें और इस भाषा में जो ग्रंथ, वेद, उपन्यास, उपनिषद व साहित्य लिखा गया है उसमें छिपे ज्ञान का ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार हो।
संस्कृत भाषा के प्रति सभी को मान और सम्मान तो है, लेकिन इसे सीखने के लिए कोई जल्द आगे नहीं आ रहा है, जिससे इसकी प्रसिद्धि व लोकप्रियता घट रही है। हालांकि आज भी ऐसे परिवार हैं, जो संस्कृत भाषा में बोलने में सक्षम हैं। संस्कृत सिर्फ भाषा ही नहीं बल्कि इसमें ऋषि मुनियों की ओर से दिया आयुर्वेद, योग , तत्वज्ञान, विज्ञान, तकनीक का बेहतर अपार ज्ञान भी इसमें समाया है।