इसे देखते हुए गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी ने इस मामले की जांच को सीआईडी क्राइम को सौंपने का निर्देश जारी किया है। ऐसे मामले विरमगाम टाउन, नारणपुरा, वराछा, धंधुका, राजकोट, साबरकांठा, सूरत, वढवाण थाने में दर्ज हुए हैं। कई शिकायतें भी मिली हैं।
ऐसे अंजाम देते थे ठगी
गिरोह के सदस्य जमीन खरीदने व बेचने के इच्छुक व्यक्ति को चिन्हित कर उससे जान पहचान करता है। उन्हें निर्धारित गांव में 200 से 400 बीघा जमीन बताता है। इसके बाद उनसे कहता है कि धार्मिक संस्था व गौशाला बनाने के लिए भी जगह चाहिए। साधू किसानों के पास से सीधे जमीन खरीदना नहीं चाहते हैं, जिससे हम खरीदकर उन्हें देते हैं, जिससे साधुओं पर आरोप ना लगे। जिससे यदि वह इस जमीन को खरीदकर साधू को बेचेगा तो ऊंचा मुनाफा मिलेगा। ये व्यक्तियों का विश्वास जीतने के लिए एमओयू भी करते थे और बाद में बानाखत करने के लिए कुछ राशि लेते फिर साधू से मुलाकात भी कराते थे। बाद में किसान जमीन बेचने से इनकार कर रहा है कहकर संबंध तोड़ देते। बानाखत करने को लिए रुपए भी नहीं लौटाते थे। आनाकानी करते कोई दमदार व्यक्ति मिलता तो टुकड़े टुकड़े में राशि देते थे, ताकि समय ज्यादा लगे और वह परेशान हो जाए।