अहमदाबाद

कच्छ में बन्नी घास के मैदान में एक साल में घास उत्पादन में 4.4 लाख किलो की वृद्धि

मरुभूमि पर वन विभाग ने 1,200 हेक्टेयर जमीन से हटाए बबूल
आठ साल में 80 से ज्यादा तालाब बनाकर मिट्टी में खारास रोकने के किए प्रयास

अहमदाबादSep 26, 2022 / 10:53 pm

Rajesh Bhatnagar

कच्छ में बन्नी ग्रासलैंड।

भुज. मरुभूमि कच्छ में एशिया के सबसे बड़े बन्नी घास मैदान से वन विभाग की ओर से 1,200 हेक्टेयर जमीन से बबूल हटाकर एक साल में मैदान का कायाकल्प कर घास उत्पादन में 4.4 लाख किलो की वृद्धि दर्ज की गई है।
विश्व प्रसिद्ध सफेद रण जाने के लिए खावड़ा से सफेद रण के मार्ग में 2497 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विख्यात बन्नी मैदान के तौर पर स्थित है। जैव विविधता वाला बन्नी क्षेत्र कच्छ के पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पशुपालन में राज्य में अग्रणी स्थान रखने वाले कच्छ के 25 हजार लोगों के मवेशी बन्नी घास मैदान पर निर्भर हैं।
उप वन संरक्षक बी.एम. पटेल के अनुसार पिछले कुछ साल में बन्नी क्षेत्र विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहा था। जलवायु परिवर्तन, बबूल का प्रकोप, खारास और मरुस्थलीकरण के अलावा बन्नी मैदान उजाड़ हो गया था। पूरे कच्छ के 20.85 लाख मवेशियों की घास की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही थी। कच्छ के पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने और बन्नी घास मैदान को फिर से हरा-भरा करने के लिए वन विभाग की ओर से एक विशेष अभियान चलाया गया है।
बन्नी घास मैदान की खारास और मरुस्थलीकरण में वृद्धि को रोकने के लिए वन विभाग की ओर से 2014 से व्यापक जल संचयन कार्य किए गए हैं। आठ साल के दौरान बन्नी घास मैदान पर विभिन्न योजनाओं के तहत 80 से ज्यादा अधिक वन तालाबों का निर्माण किया गया है। वर्षा जल संरक्षण के साथ-साथ मिट्टी में सुधार भी घास की वृद्धि के लिए लाभकारी माना जाता है।
बन्नी घास मैदान से वन विभाग की ओर से 1200 हेक्टेयर भूमि से बबूल को हटा दिया गया है। बबूल को पूरी तरह से नष्ट करने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है। इसके अलावा मिट्टी को बबूल नुकसान पहुंचाता है। वन विभाग की की मेहनत अब रंग ला रही है। 2019-20 में केवल दो लाख किलो घास का उत्पादन हुआ था। 2021-22 में 6.25 लाख किलो घास का उत्पादन हुआ। एक साल में 4.4 लाख किलो अधिक घास उगाना बड़ी उपलब्धि है।
मोदी ने यूएन में किया था कायाकल्प का उल्लेख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण में बन्नी घास के मैदान के कायाकल्प का गर्व से उल्लेख किया था। केवडिय़ा स्थित एकता नगर में देश भर के वन और पर्यावरण विभाग के मंत्रियों और अधिकारियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में सर्वोत्तम प्रेक्टिस के तौर पर प्रस्तुति दी गई थी। वन विभाग और राजस्व विभाग की ओर से हाल ही बन्नी घास के मैदान का सीमांकन करने के लिए एक संयुक्त तौर पर कार्रवाई कर चिन्हिकरण किया गया। वन विभाग के तहत आरक्षित क्षेत्र की सीमाएं तय की गई। यह कार्य भी वनीकरण गतिविधि के लिए महत्वपूर्ण बन रहा है।

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