प्राकृतिक खेती को प्रकृति के साथ जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि जंगल में पनपने वाले पेड़-पौधों और फल-फूल को किसी रासायनिक खाद की जरूरत नहीं पड़ती। कुदरती तौर पर इनमें तमाम ऑर्गेनिक तत्वों की देन परमात्मा ने दी है। सम्पूर्ण प्राकृतिक रूप से इस वन सम्पदा का पालन-पोषण हो सकता है तो ऐसा हमारे खेतों में क्यों नहीं हो सकता? यह सवाल करते हुए राज्यपाल ने किसानों को प्राकृतिक खेती के विचार को अपनाने का मंत्र दिया।
किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर लौटने की दिलाई शपथ राज्यपाल ने यार्ड में प्राकृतिक उत्पादन सह बिक्री केंद्र का अवलोकन किया और प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के साथ उनके उत्पादन को लेकर संवाद किया। उन्होंने किसानों को धीरे धीरे प्राकृतिक खेती की ओर लौटने की शपथ दिलाई। कलक्टर प्रभव जोशी ने स्वागत किया। जिला विकास अधिकारी देव चौधरी ने आभार व्यक्त किया। जिला पंचायत अध्यक्ष प्रवीणा रंगाणी, विधायक गीताबा जाडेजा, जयेश रादड़िया आदि भी मौजूद थे।